सोशल संवाद/डेस्क/Electricity Theft in Jharkhand: झारखंड में बिजली चोरी का मुद्दा लंबे समय से सिरदर्द बना हुआ है। सरकार भी लगातार नए-नए प्रयास कर रही है कहीं पुराने केबल बदले गए, तो कहीं स्मार्ट मीटर लगाए गए, लेकिन नतीजा वही। बीते कुछ सालों में राज्य सरकार और बिजली वितरण कंपनियों ने बुनियादी ढाँचे को मजबूत करने पर लगभग 1200 करोड़ रुपये खर्च किए। ट्रांसफॉर्मर बदले गए, मीटरिंग सिस्टम को आधुनिक बनाया गया और जगह-जगह नई लाइनें बिछाई गईं। इसके बावजूद बिजली चोरी का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा।
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अब सरकार ने करीब 3,200 करोड़ रुपये की नई योजना शुरू की है। इसके तहत लाखों उपभोक्ताओं को स्मार्ट मीटर दिए जाएंगे, ताकि खपत पर निगरानी रखी जा सके और चोरी पर रोक लग सके बता दें बिजली चोरी और तकनीकी गड़बड़ियों की वजह से राज्य को हर साल भारी नुकसान झेलना पड़ता है। आँकड़ों के मुताबिक, हाल के वर्षों में औसतन 30% से ज्यादा बिजली घाटा दर्ज किया गया है।
हालाँकि 2025 में इसमें थोड़ी गिरावट दिखी है, लेकिन विशेषज्ञ इसे टिकाऊ समाधान नहीं मानते। पिछले पाँच सालों में बिजली चोरी के 1.75 लाख से ज्यादा मामले दर्ज किए गए। यह आंकड़ा बताता है कि सिर्फ तकनीकी उपायों से समस्या का हल संभव नहीं है। ऊर्जा विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक उपभोक्ताओं की सोच नहीं बदलेगी, तब तक सरकार के प्रयास अधूरे रहेंगे। उनके अनुसार,
- मीटरिंग सिस्टम को पारदर्शी बनाना होगा,
- चोरी करने वालों पर सख्त कानूनी कार्रवाई करनी होगी,
- और सबसे ज़रूरी है आम जनता में जागरूकता पैदा करना।
झारखंड में बिजली चोरी न केवल सरकार की आमदनी पर असर डाल रही है, बल्कि ईमानदारी से बिल चुकाने वाले उपभोक्ताओं के लिए भी बोझ बन रही है। अब सवाल यही है कि क्या नई स्मार्ट मीटर योजना राज्य की पुरानी आदतों पर ब्रेक लगा पाएगी या यह भी बाकी योजनाओं की तरह अधूरी रह जाएगी।








