---Advertisement---

यहां होती है हर मुरादे पूरी, मन्नत पूरी होने पर चढ़ाया जाता है घोड़ा, 300 साल पुरानी है प्रथा

By Annu kumari

Published :

Follow

Join WhatsApp

Join Now

सोशल संवाद/ डेस्क; इस मंदिर में आने वाले हर भक्तों की मनोकामना पूरी होती है और मन्नत पूरी होने पर घोड़ा चढ़ाया जाता है सुनकर सभी को आश्चर्य होता है। पर, सच्चाई यह है कि झारखंड के सरायकेला जिले के गम्हरिया प्रखण्ड (ब्लॉक) में घोड़ा बाबा मंदिर है। यहां मन्नत पूरी होने पर लोग घोड़ा चढ़ाते हैं। यह घोड़ा असली घोड़ा नहीं; बल्कि मिट्टी का होता है। जमशेदपुर से करीब 10 किलोमीटर दूर सरायकेला मार्ग पर गम्हरिया के पास सड़क के किनारे घोड़ा बाबा का मन्दिर है।

मकर संक्रांति के दूसरे दिन इस मन्दिर में काफी भीड़ होती है। घोड़ा बाबा मंदिर में दूर-दूर से लोग इनकी भक्ति में लीन होने के लिए और अपनी मुरादें पूरी करने के लिए आते हैं। यहां किसी भगवान या देवता की पूजा नहीं होती है; बल्कि घोड़ा बाबा की आराधना की जाती है।


जब श्रद्धालुओं की मुरादें पूरी हो जाती हैं तो लोग प्रसाद के रूप में मिट्टी के घोड़े या हाथी चढ़ाते हैं। खास बात यह है कि इस मन्दिर में जो प्रसाद केला, नारियल भक्तों को मिलता है, उसे भक्त घर नहीं ले जा सकते हैं। आपको जितना प्रसाद खाना है, यहीं खाएं और अगर नहीं खा सकते हैं तो उसे किनारे रख दें; ताकि उस पर किसी का पैर न लगे।
महिलाओं का प्रवेश था वर्जित

इस मन्दिर में घोड़े की पूजा की प्रथा 300 साल पुरानी है। कहानी यह है कि भगवान कृष्ण और बलराम ने घोड़े पर सवार होकर खेती के लिए इस ग्राम का दौरा किया था और फिर बलराम ने अपने हल से गम्हरिया की धरती पर खेती की नींव रखी थी। भागवान कृष्ण व बलराम के जाने के बाद उनके घोड़े गम्हरिया में ही रह गये। तब से ही गम्हरिया में घोड़ा बाबा की पूजार्चना हो रही है। कालान्तर में यहां पूजा की अद्भुत प्रथा प्रचलित हुई और लोग घोड़ा बाबा को उन्हीं की प्रतिकृति चढ़ाने लगे। वर्तमान मन्दिर का निर्माण 300 वर्षों पूर्व हुआ माना जाता है।

YouTube Join Now
Facebook Join Now
Social Samvad MagazineJoin Now
---Advertisement---