सोशल संवाद/डेस्क: चुनाव आयोग ने देशभर में मतदाता सूची को दुरुस्त करने और EVM को मतदाता-अनुकूल बनाने की दिशा में बड़े बदलाव किए हैं। आयोग का कहना है कि विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की प्रक्रिया शुरू होने पर देश के लगभग आधे मतदाताओं को अब कोई दस्तावेज़ दिखाने की जरूरत नहीं होगी।

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EVM पुराने मतदाताओं को राहत
आयोग के मुताबिक, जिन मतदाताओं के नाम राज्यों में पहले हुए एसआईआर के बाद तैयार सूची में पहले से शामिल हैं, उन्हें जन्मतिथि या जन्मस्थान साबित करने के लिए अलग से कोई दस्तावेज़ नहीं देना होगा। अधिकांश राज्यों में यह आखिरी पुनरीक्षण 2002 से 2004 के बीच हुआ था। उदाहरण के लिए, बिहार में 2003 की सूची को आधार माना गया है। वहां करीब 60 प्रतिशत पुराने मतदाता बिना अतिरिक्त कागजात के शामिल रहेंगे, जबकि नए मतदाताओं को जरूरी दस्तावेज़ प्रस्तुत करने होंगे।
नए मतदाताओं के लिए शर्तें
- 1987 से पहले जन्मे लोग – खुद का जन्म प्रमाण देना होगा।
- 1 जुलाई 1987 से 2 दिसंबर 2004 के बीच जन्मे लोग – माता-पिता की नागरिकता या जन्म का प्रमाण दिखाना होगा।
- 2 दिसंबर 2004 के बाद जन्मे लोग – यह साबित करना होगा कि माता-पिता में कम से कम एक भारतीय नागरिक है और दूसरा गैर-कानूनी प्रवासी नहीं है।
15 करोड़ नाम कटने का अनुमान
देश में लगभग 100 करोड़ मतदाता हैं। आयोग के आकलन के मुताबिक, एसआईआर के बाद लगभग 15 करोड़ नाम हट सकते हैं। इसमें वे लोग शामिल होंगे जिनके नाम एक से अधिक जगह दर्ज हैं या जिनकी मृत्यु हो चुकी है लेकिन सूची से नाम नहीं हटाया गया।
ईवीएम पर बड़ा बदलाव
मतदाता सूची की सफाई के साथ आयोग ने ईवीएम को भी अधिक उपयोगी बनाने का फैसला किया है। अब सभी उम्मीदवारों की तस्वीरें रंगीन प्रिंट में दिखाई जाएंगी। पहले ब्लैक एंड व्हाइट फोटो होने की वजह से कई बार मतदाता, खासकर बुजुर्ग मतदाता, पहचानने में कठिनाई की शिकायत करते थे।
इसके अलावा, अब उम्मीदवारों का नाम पूरे देश में एक ही साइज और फॉन्ट में लिखा जाएगा। नया नियम है कि नाम 30 प्वाइंट बोल्ड फॉन्ट में होगा और इसके लिए बेहतर गुणवत्ता का पेपर इस्तेमाल किया जाएगा। यह व्यवस्था सबसे पहले बिहार विधानसभा चुनाव से लागू होगी।








