December 23, 2024 7:11 am

भाजपा के प्रयासों से अंततः कामनवेल्थ खेलों पर सी.ए.जी. रिपोर्टों को उठा कर राजनीति में आये अरविंद केजरीवाल की सरकार के घोटालों पर 14 सी.ए.जी. रिपोर्ट अब सामने आयेंगी – वीरेन्द्र सचदेवा

भाजपा के प्रयासों से अंततः कामनवेल्थ खेलों पर सी.ए.जी. रिपोर्टों

सोशल संवाद / नई दिल्ली : दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा ने कहा है की यह अजीब विडम्बना है की जिस अरविंद केजरीवाल ने 2011-12 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार के विरूद्ध अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत सी.ए.जी. रिपोर्टों को सार्वजनिक कर उन पर कार्रवाई एवं पावर डिस्कॉम की भागीदार निजी कम्पनियों के खातों की जांच मांग से की थी उन्ही अरविंद की सरकार आज दो साल से अधिक से सी.ए.जी. की रिपोर्टों को सार्वजनिक करने से बच रही है। साथ ही अब केजरीवाल दल की सरकार पावर डिस्कॉम के निजी पार्टनरों के बचाव में भी सक्रिय है।

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अरविंद केजरीवाल ने ना सिर्फ कामनवेल्थ खेलों के व्यय पर आई सी.ए.जी. रिपोर्ट को उठा कर राजनीतिक यात्रा शुरू की थी पर 6 फरवरी 2014 को मुख्य मंत्री रहते हुए अरविंद केजरीवाल ने एक सी.ए.जी. रिपोर्ट के आधार पर अपनी पूर्ववर्ती शीला दीक्षित ए.सी.बी. जांच के आदेश भी दिये थे।

दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने स्पष्ट किया की सी.ए.जी. एक स्वतंत्र संस्था है जिसका काम है हर सार्वजनिक व्यय एवं कार्य की समीक्षा करना और सी.ए.जी. की रिपोर्ट हर सरकार को जवाबदेह बनाती है और न्यायालय में स्वीकार्य होती है।

वीरेन्द्र सचदेवा ने कहा था की यह अजीब विडम्बना है की 2017-18 से 2021-22 के बीच सी.ए.जी. ने अरविंद केजरीवाल सरकार के दौरान शराब पर एक्साइज ड्यूटी, प्रदूषण एवं अन्य वित्तीय मुद्दों पर हुई गड़बड़ियों को लेकर 14 प्रमुख रिपोर्टें आई पर केजरीवाल सरकार उन्हे आज तक दबा कर बैठी है।

वीरेन्द्र सचदेवा ने कहा की संवैधानिक व्यवस्था ऐसी है की सरकारी व्यय का आडिट करने वाली सर्वशक्तिमान संस्था सी.ए.जी. अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपती है और राज्य सरकार उपराज्यपाल से प्रशासनिक धारा 48 के तहत अनुमति लेकर विधानसभा सत्र में रखती है पर अरविंद केजरीवाल तो जानते ही थे की यदि यह रिपोर्ट सार्वजनिक होंगी तो उन्ही की सरकार पर अनेक आर्थिक घोटालों के मुकदमें बनेंगे तो वह एक के बाद एक आई लगभग 14 प्रमुख रिपोर्टों को लेकर दबाते रहे।

यहां यह याद रखना जरूरी है की इन रिपोर्टों के दबाये जाने के लिए यूं तो पहले पूरा अरविंद केजरीवाल मंत्रीमंडल और अब आतिशी मार्लेना मंत्रीमंडल दोषी है पर विशेष यह है की केजरीवाल सरकार में वित्त मंत्री होने के नाते आतिशी मार्लेना एवं मनीष सिसोदिया मुख्य मंत्री के विशेष भागीदार रहे हैं। जिस तरह पहले अरविंद केजरीवाल ने रिपोर्टों को दबाया उसी तरह अब आतिशी मार्लेना भी दबा रही है।

वीरेन्द्र सचदेवा ने कहा की भाजपा विधायक दल लगातार दो वर्ष इन रिपोर्टों को विधानसभा के पटल पर रखने की  बार बार मांग करता रहा पर जब अरविंद केजरीवाल के कान पर जूं नही रेंगी तब दिल्ली भाजपा के निर्देश पर विधायक दल के नेता विजेन्द्र गुप्ता एवं अन्य 6 विधायकों अजय महावर, ओमप्रकाश शर्मा, मोहन सिंह बिष्ट, अभय वर्मा, जितेन्द्र महाजन एवं अनिल बाजपेयी ने सी.ए.जी. रिपोर्ट विधानसभा पटल पर रखकर  सार्वजनिक करने की मांग को लेकर  माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका 29 अक्टूबर 2024 को दायर की।

जिस पर माननीय न्यायालय ने दिल्ली सरकार से जवाब मांगा पर सरकार ने यह कर की रिपोर्ट उपराज्यपाल महोदय के पास है और वह सक्षम अधिकारी हैं  माननीय न्यायालय को भी भ्रमित कर लम्बा स्थगन लेने का प्रयास किया पर दिल्ली वालों के सौभाग्यवश सी.ए.जी. ने भी अपना हलफनामा माननीय न्यायालय में रख दिया जिससे सिथती पूरी तरह साफ हो गई।

वीरेन्द्र सचदेवा ने बताया की सी.ए.जी. के हलफनामे ने साफ कर दिया की उसने दिल्ली सरकार को हस्ताक्षरित पूरी रिपोर्ट भेजी जिसकी बिना हस्ताक्षर की कापी सील लिफाफे में उपराज्यपाल को भेजी जो केवल सूचनात्मक थी। इस दौरान क्योंकि दिल्ली विधानसभा का सत्र चल रहा था तो भाजपा विधायकों ने जल्दी सुनवाई की अर्जी माननीय न्यायालय में लगाई और अंततः कार्रवाई आगे बढ़ी।

सी.ए.जी. के हलफनामें के बाद अरविंद केजरीवाल के रिमोट से चलने वाली दिल्ली की सुश्री आतिशी मार्लेना सरकार को माननीय न्यायालय में सवीकारना पड़ा की उसे ही उपराज्यपाल को रिपोर्ट भेजकर विधानसभा में रखने की अनुमति लेनी है और उसने अब यह कर दिया है।

मार्लेना सरकार फिर भी मामले को टालती रही और सदन के अंतिम सत्र को 4 दिसम्बर को खत्म होने दिया पर सी.ए.जी. रिपोर्ट सदन में नही रखा, जिसके बाद भाजपा विधायक दल ने पुनः माननीय न्यायालय से निर्देश की मांग की।

माननीय न्यायालय में तेज़ी से चले घटनाक्रम में भाजपा के वकीलों की बहस रंग लाई और दिल्ली सरकार भी उपराज्यपाल महोदय के वकीलों के ब्यान हुए और अन्ततः गत 16 दिसम्बर को माननीय न्यायलय की सुनवाई में यह स्पष्ट हो गया की सरकार एवं उपराज्यपाल दोनों ही दो तीन दिन में सभी 14 सी.ए.जी.  रिपोर्ट विधानसभा पटल पर रखने के लिए विधानसभा अध्यक्ष को सूचित करेंगे। हम उम्मीद करते हैं की 14 सी.ए.जी. रिपोर्ट अब दिल्ली वालों के सामने आने के बाद अब एक दो नही 14 ऐसे मामले आयेंगे जिनके बाद आतिशी मार्लेना सरकार अपनी पूर्ववर्ती अरविंद केजरीवाल सरकार पर जांच की सिफारिश करने को बाध्य होगी।

दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने कहा है की हम विधानसभा अध्यक्ष से मांग करते हैं कि आगामी शनिवार 21 दिसम्बर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलायें और दिल्ली सरकार को वहां सी.ए.जी. की सभी 14 रिपोर्ट रखने का निर्देश दें। विशेष सत्र में कोई अन्य ऐजेंडा ना हो।

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