सोशल संवाद / जमशेदपुर : जमशेदपुर में शुक्रवार रात हुई मूसलधार बारिश और ओडिशा, चांडिल व डिमना डैम के फाटक खोले जाने के बाद सुवर्णरेखा और खरकई नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। नदियों के उफान से शहर के कई निचले इलाके डूब गए हैं, जिससे 6,000 से अधिक मकान जलमग्न हो गए। जिला प्रशासन, एनडीआरएफ की टीमों और सामाजिक संगठनों के प्रयासों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है। राहत की बात यह है कि बारिश थम चुकी है, लेकिन खतरा पूरी तरह टला नहीं है क्योंकि डैम के फाटक बंद होने का इंतजार जारी है।

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नदियों का बढ़ा जलस्तर
खरकई नदी का जलस्तर आदित्यपुर पुल के पास 135.400 मीटर दर्ज हुआ, जो खतरे के निशान से 6.4 मीटर ऊपर है। सुवर्णरेखा नदी मानगो पुल के पास 124.22 मीटर पर बह रही है, जो खतरे के स्तर से 2.72 मीटर ज्यादा है। गजिया बराज में भी नदी का स्तर 139.3 मीटर तक पहुंच गया है।
चांडिल डैम का जलस्तर 180.48 मीटर हो चुका है और इसके आठ गेट खोलने से 762.39 क्यूमेक्स पानी छोड़ा जा रहा है। डिमना डैम का भी एक फाटक खोला गया है और जलस्तर में तेजी से वृद्धि के चलते अन्य फाटक भी खोले जा सकते हैं। गालूडीह बराज के सभी 13 गेट खोल दिए गए हैं, जिनसे 8,218.76 क्यूमेक्स पानी छोड़ा जा रहा है।
प्रभावित इलाके और हालात
कदमा, बागबेड़ा, जुगसलाई, बिष्टुपुर, सोनारी और मानगो जैसे निचले इलाकों में बाढ़ का पानी घरों और सड़कों में भर गया है। कई फ्लैट, कॉलोनियां और बस्तियां पूरी तरह जलमग्न हो चुकी हैं। आवागमन बाधित है—कई सड़कों को बंद करना पड़ा, जिनमें मानगो ओल्ड पुरुलिया रोड और कपाली लिंक रोड प्रमुख हैं।
मौसम विभाग के अनुसार, बीती रात सबसे ज्यादा बारिश रिकॉर्ड की गई—69.6 मिलीमीटर। हालांकि अगले दो दिनों तक बारिश से राहत की संभावना जताई गई है।
राहत और बचाव कार्य
बाढ़ प्रभावित इलाकों में एनडीआरएफ की टीमें लगातार लोगों को सुरक्षित निकालने में जुटी हैं। टाटा स्टील के गोताखोर भी राहत कार्यों में मदद कर रहे हैं। जिला उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी व्यक्तिगत रूप से हालात की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। प्रशासन का कहना है कि जैसे ही डैम के गेट बंद होंगे और नदियों का जलस्तर घटेगा, स्थिति धीरे-धीरे सामान्य होगी।








