सोशल संवाद / जसकनडीह (पूर्वी सिंहभूम): आदिवासी समाज की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को नई पहचान दिलाने वाले महान साहित्यकार और वारंङ क्षिति लिपि के निर्माता ओत् गुरु कोल लको बोदरा जी की जयंती अवसर पर विशेष आयोजन किया गया। इस अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन ने जसकनडीह में उनकी आदमकद प्रतिमा का अनावरण किया।

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कार्यक्रम में बड़ी संख्या में स्थानीय लोग, सामाजिक कार्यकर्ता और साहित्य प्रेमी शामिल हुए। सभी ने मिलकर बोदरा जी को श्रद्धासुमन अर्पित किए और उनके योगदान को याद किया।
वारंङ क्षिति लिपि और बोदरा जी का योगदान
‘हो’ जनजाति की भाषा को अपनी विशिष्ट पहचान दिलाने के लिए बोदरा जी ने वारंङ क्षिति लिपि का निर्माण किया। यह लिपि न केवल भाषाई अस्मिता का प्रतीक है बल्कि आदिवासी संस्कृति और परंपराओं को संरक्षित रखने का मजबूत आधार भी है।

बोदरा जी ने अपने साहित्य और विचारों के माध्यम से समाज में शिक्षा, जागरूकता और सांस्कृतिक संरक्षण की अलख जगाई।
पीढ़ियों तक रहेगा प्रेरणास्त्रोत
प्रतिमा अनावरण के मौके पर वक्ताओं ने कहा कि ओत् गुरु कोल लको बोदरा जी के योगदान को आने वाली पीढ़ियां सदैव याद रखेंगी। भाषा और संस्कृति के संरक्षण के लिए उनका प्रयास युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणास्त्रोत बना रहेगा।








