रातोंरात भूतों ने बनाया ये मंदिर, अनोखी है कहानी

सोशल संवाद डेस्क :  हमारे  देश में ऐसे कई मंदिर है जो चमत्कारिक होने के साथ साथ कला का भी अद्भुत नमूना है । आप सच मानें या झूठ, लेकिन आज हम जिस मंदिर के बारे में हम बताने जा रहे है कहा जाता है की उसे भूतो ने बनाया था। अगर  आप इस मंदिर को सामने से देखेंगे तो आपको ऐसा लगेगा कि यह मंदिर बहुत जल्दबाजी में तैयार किया गया होगा। बल्कि इस मंदिर की बनावट यह कहती है कि निर्माण करने वाला इस मंदिर को अधूरा छोड़ कर चला गया ।

इस मंदिर में पत्थरों का इस्तेमाल तो नज़र आता है। लेकिन मंदिर बनाने में उन पत्थरों को जोड़ कर खड़ा करने में किस वस्तु का प्रयोग किया गया होगा इसका आज तक पता न लग सका। क्योंकि आश्चर्य की बात है यह भी है कि पत्थरों से बने इस मंदिर का, बिना बालू-सीमेंट या गारा की सहायता से निर्माण किया गया है। यह रहस्यमय डरावना मंदिर मध्यप्रदेश के मुरैना जिले के सिंघोनिया गांव में स्थित है। भगवान शिव का यह धाम ‘कननमठ मंदिर’ के नाम से जाना जाता है। जो अपने रहस्यमय होने कारण पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। यह मंदिर प्राचीन स्थापत्य कला का अदभुद उदाहरण है। मुरैना जिले में स्थित यह अदभुत कननमठ मंदिर, सैकड़ों सालों से, लोगों में कौतूहल का विषय बना हुआ है।

20 फ़ीट ऊँचा यह मंदिर अपनी बनावट के कारण देखने में ऐसा लगता है कि कुछ देर में ही गिर जायगा । लेकिन आश्चर्य कि बात यह है कि  ग्यारहवीं शताब्दी का यह मंदिर अब तक सुरक्षित है। जबकि आसपास के सारे मंदिर गिरकर टूट गये। लोग कहते ने की इस मंदिर का निर्माण भूत –प्रेतों ने एक रात में ही किया है । रात के समय इस मंदिर में लोगों को चलने-फिरने, रोने -चीखने की आवाज भी सुनाई देने लगती है।

शाम ढलने के बाद यहाँ आसपास का सारा वातावरण बहुत डरावना हो जाता है। रात के अंधेरे में इस मंदिर के आसपास कोई जाने की हिम्मत नहीं करता। यहाँ अनहोनी होने की खौफनाक सत्य घटनायें स्थानीय लोगों के मुँह से सुनी जा सकती है।

बहुत खोजों के बावजूद इस बात का पता नहीं लगाया जा सका है कि इस मंदिर के पत्थरों को किस वस्तु से जोड़कर इस मंदिर का निर्माण किया गया होगा। यह भी का आश्चर्य का विषय है कि बिना सीमेंट-गारे का यह मंदिर अब तक क्यों नहीं गिरा? इस मंदिर को बनाने के लिए किस तकनीक का प्रयोग किया गया होगा? जिसकी जानकारी आज तक नहीं मिल सकी। इस बारे में कई कहानियाँ प्रचलित हैं। जो अचरज से भरी हुईं और बड़ी दिलचस्प हैं। इतिहासकारों के अनुसार यह मंदिर ग्यारहवीं  सदी में राजा कीर्ति राज सिंह ने अपनी रानी ककनावती के नाम पर बनवाया था। कहा जाता है कि रानी ककनावती भगवान शिव की अनन्य भक्त थी।

एक दिन रानी ने राजा से ज़िद की कि मेरे लिये कल सुबह तक भगवान शिव का एक मंदिर बनवा दो। मुझे कल भगवान की पूजा अपने शिव मंदिर में करनी है। अब रातों-रात मंदिर का निर्माण कैसे हो?

राजा सोच में पड़ गया। उसने राज्य के सेनापति से इस विषय में बात की। सेनापति ने अपने सभी सैनिकों को मंदिर निर्माण के लिए लगा दिया। उन सैनिको ने पत्थर के ऊपर पत्थर रखकर बिना किसी चीज से जोड़े यूं ही खड़ा कर दिया। उसके बाद उस मंदिर के ढांचे के सामने बैठकर रानी ने भगवान शिव का आवाहन किया। और  प्रार्थना की कि कुछ ऐसा चमत्कार कीजिये जिससे कि मंदिर के पत्थर आपस में जुड़ जायें और यह पत्थरों का यह ढांचा मंदिर के स्वरुप में बदल जाये। रानी ककनावती की शिव भक्ति सच्ची थी, चमत्कार हो गया। सैनिको द्वारा रातों-रात तैयार किया गया ढांचा मंदिर में बदल गया और ब्रह्मा मुहूर्त में पूजा अर्चना होने लगी।

एक और कथा के अनुसार  इस क्षेत्र में एक तांत्रिक रहता था जो शिव का परम भक्त था। एक रात उसने आग जलाकर भूतों का आवाहन किया और उनसे कहा कि तुम सबको रातों-रात यहाँ एक शिव मंदिर का निर्माण करना है। यदि तुम सब सुबह होने से पहले इस काम को नहीं कर पाये तो मैं काला तांत्रिक सभी भूत-प्रेतों को उस आग में जलाकर राख कर दूंगा। तांत्रिक की बात सुनकर भूत-प्रेत डर गये। उन्होंने रातों-रात मंदिर का निर्माण आरंभ कर दिया। इस मंदिर का निर्माण पूर्ण होने से पहले ही बारिश होने लगी। बारिश होने के कारण उस तांत्रिक द्वारा उन भूतों को डराये जाने के लिये जलायी गयी आग पानी से बुझ गयी। अब उन भूत-प्रेतों को आग से जलने का कोई डर न था। क्योंकि वह जलती हुईं आग राख में बदल गयी थी।

मौका देखकर वे सभी भूत-प्रेत वहां से भाग निकले और इस मंदिर का काम अधूरा रह गया। यही कारण हगे की इस मंदिर का नाम भूतेश्वर भी है । मान्यता है कि यदि मंदिर के अंदर कोई हथियार लेकर प्रवेश करता है तो हथियार छूटकर गिर पड़ता है या व्यक्ति स्वयं ही जमीन पर फिसलकर गिर पड़ता है। यहां पर मनौती के लिए लिखित अर्जी लगानी पड़ती है। यानी अपनी मनोकामना कागज पर लिखकर मंदिर में नियत स्थान पर रख दीजिए और आपकी मनोकामना पूरी हो सकती है।

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