सोशल संवाद / डेस्क (सिधार्थ प्रकाश ) : वर्तमान में अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध, अमेरिका और भारत में संभावित आर्थिक मंदी, वैश्विक व्यापार और टैरिफ नीतियों में अनिश्चितता, तथा भू-राजनीतिक तनाव के कारण वित्तीय वर्ष 2025-26 अत्यधिक अस्थिर रहने वाला है। ऐसे में डॉलर-रुपये (USD/INR) की विनिमय दरों में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है, जिससे निर्यातकों, आयातकों और विदेशी कर्ज वाली कंपनियों के सामने बड़ी चुनौतियाँ खड़ी हो सकती हैं।
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क्या कहती हैं आर्थिक भविष्यवाणियाँ?
विश्लेषकों के अनुसार, USD/INR की दर 83.50 से 87.00 के बीच रह सकती है, जो अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ब्याज दर नीतियों, भारत के विदेशी मुद्रा भंडार, और वैश्विक व्यापार संतुलन पर निर्भर करेगी। ऐसे समय में, कंपनियों के लिए सही रणनीति और फॉरेक्स हेजिंग उपायों को अपनाना बेहद जरूरी है।
बिज़नेस के लिए सही फॉरेक्स रणनीतियाँ
सिधार्थ प्रकाश, जो वित्तीय बाज़ारों और व्यापारिक रणनीतियों पर लगातार शोध कर रहे हैं, बताते हैं कि कंपनियाँ कैसे फॉरेक्स मार्केट के जोखिम को कम करके अपनी लाभप्रदता बढ़ा सकती हैं।
निर्यातकों के लिए:
- बेहतर बजटेड एक्सचेंज रेट प्राप्त करने की रणनीति
- रुपये के अवमूल्यन (Depreciation) का लाभ उठाकर राजस्व में वृद्धि
- स्मार्ट हेजिंग तकनीकों से एक्सपोर्ट रियलाइज़ेशन सुधारना
आयातकों के लिए:
- हेजिंग लागत 2.0% – 3.0% प्रति वर्ष तक घटाने की रणनीति
- मार्केट अस्थिरता से बचाव और मार्क-टू-मार्केट (MTM) नुकसान को कम करना
- स्मार्ट फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट और करेंसी स्वैप से बचाव उपाय
विदेशी कर्ज वाली कंपनियों के लिए:
- लोन ब्याज दर लागत 1.0% – 3.0% प्रति वर्ष तक घटाना
- रूपए की सही विनिमय दर पर कर्ज चुकाने के स्मार्ट तरीके
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार – क्या यह संकट से बचा सकता है?
मार्च 2025 तक, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार $620 बिलियन पर पहुंच चुका है, जो अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण सुरक्षा कवच है। लेकिन कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें, विदेशी निवेश में कमी, और वैश्विक ब्याज दरों में बदलाव भारतीय रुपये की स्थिरता को प्रभावित कर सकते हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीतियों के साथ कदम मिलाकर, कंपनियों को अपने वित्तीय निर्णय समझदारी से लेने होंगे। सही जानकारी और रणनीतियाँ अपनाकर कंपनियाँ अस्थिर बाजार में भी मुनाफा कमा सकती हैं।
FY 2025-26: तैयार रहें और आगे बढ़ें!
वित्तीय वर्ष 2025-26 में कंपनियों को अधिक सतर्क और रणनीतिक दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है। सही समय पर सही निर्णय लेकर कंपनियाँ अपनी लागत घटा सकती हैं, राजस्व बढ़ा सकती हैं, और वैश्विक अनिश्चितताओं से सुरक्षित रह सकती हैं।