सोशल संवाद/ डेस्क: गुरु-शिष्य परंपरा की अनुपम छवि लिए गुरु पूर्णिमा महोत्सव गुरुवार को पूरे श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया। शहर के विभिन्न स्थलों पर आयोजित कार्यक्रमों में गुरु वंदना, प्रवचन, भजन, शोभायात्रा, आरती और भंडारा का आयोजन किया गया। भक्तों ने अपने-अपने गुरुओं की पूजा-अर्चना कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया।
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पारडीह काली मंदिर में इस अवसर पर विशेष आयोजन हुआ, जहाँ जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता महंत विद्यानंद सरस्वती के नेतृत्व में ब्रम्हलीन महंत शंकराचार्य सरस्वती की समाधि स्थल पर स्थापित शिवलिंग का महामृत्युंजय जाप और रुद्राभिषेक किया गया। इस धार्मिक अनुष्ठान में बड़ी संख्या में शिष्य और श्रद्धालु शामिल हुए।
मंदिर प्रेक्षागृह में सुबह साढ़े 11 बजे से महंत विद्यानंद सरस्वती की पूजा-अर्चना का सिलसिला शुरू हुआ, जिसमें भक्तों ने बारी-बारी से अपने गुरु का पूजन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। आयोजन में आध्यात्मिक वातावरण और भक्ति भाव की सजीव अनुभूति देखने को मिली।
इस पावन अवसर पर मेघानंद सरस्वती, इंद्रानंद सरस्वती, अविनाश सिंह राजा, मधु गोराई, भवानी सिंह सहित कई अन्य श्रद्धालु और संत महात्मा उपस्थित रहे। कार्यक्रम का उद्देश्य गुरु-शिष्य संबंध को सुदृढ़ करना और सनातन परंपरा के महत्व को जनमानस तक पहुंचाना था।