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‘हक’ ने थिएटर्स में जमाई धाक, यामी गौतम और इमरान हाशमी की जोड़ी ने मचाया धमाल

By Muskan Thakur

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‘हक’ ने थिएटर्स में जमाई धाक

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सोशल संवाद/डेस्क : बॉलीवुड में इस हफ्ते रिलीज़ हुई यामी गौतम और इमरान हाशमी की फिल्म ‘हक’ ने बॉक्स ऑफिस पर उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन करते हुए दर्शकों के दिलों में अपनी जगह बना ली है। सामाजिक मुद्दों पर आधारित यह फिल्म रिलीज़ के पहले ही दिन से चर्चा में है। कहानी और दमदार अभिनय के बल पर फिल्म ने यह साबित कर दिया कि अगर विषय मजबूत हो, तो दर्शक उसे खुले दिल से अपनाते हैं।

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‘हक’ एक गंभीर लेकिन जरूरी विषय पर बनी फिल्म है। इसकी कहानी समाज के उस हिस्से को छूती है, जहाँ न्याय, धर्म और महिला अधिकारों के बीच टकराव दिखाया गया है। फिल्म का मूल प्लॉट प्रसिद्ध शाहबानो केस से प्रेरित बताया जा रहा है, जिसने देश के न्यायिक और सामाजिक इतिहास में बड़ा बदलाव लाया था। निर्देशक ने इस ऐतिहासिक केस को आधुनिक संदर्भों में पिरोते हुए आज के दौर के सवालों से जोड़ने की कोशिश की है — और यही वजह है कि फिल्म लोगों को सोचने पर मजबूर कर देती है।

यामी गौतम ने फिल्म में एक वकील का किरदार निभाया है, जो समाज में न्याय और समानता की लड़ाई लड़ती है। उनके किरदार की गहराई और दृढ़ता दर्शकों को पूरी तरह बांध लेती है। उन्होंने अपने अभिनय से यह साबित किया है कि वह सिर्फ खूबसूरत ही नहीं, बल्कि संवेदनशील और प्रभावशाली कलाकार भी हैं। दूसरी ओर, इमरान हाशमी ने एक ऐसे व्यक्ति की भूमिका निभाई है जो परंपरा और आधुनिकता के बीच झूलता दिखता है। उनके किरदार की भावनात्मक जटिलता फिल्म में और गहराई लाती है।

फिल्म के कई दृश्यों में यामी और इमरान के बीच की तीखी बहसें और भावनात्मक टकराव दर्शकों को सीट से बांधकर रखता है। निर्देशक ने दोनों के संवादों में नयापन और गहराई दी है, जिससे फिल्म केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि एक विचार बनकर सामने आती है।

फिल्म की कहानी न्यायिक प्रणाली, धर्म और सामाजिक मान्यताओं पर तीखा सवाल उठाती है। यह दिखाती है कि किस तरह से एक महिला को अपने अधिकारों के लिए समाज के कई स्तरों से लड़ना पड़ता है। यामी गौतम का किरदार हर उस महिला की आवाज़ बन जाता है, जो चुप रहकर भी अन्याय को महसूस करती है। फिल्म का नाम ‘हक’ इसीलिए बिल्कुल सटीक है — क्योंकि यह सिर्फ कहानी नहीं, बल्कि अधिकार की पुकार है।

बॉक्स ऑफिस पर फिल्म का प्रदर्शन भी शानदार रहा है। पहले ही वीकेंड में फिल्म ने बेहतरीन ओपनिंग हासिल की और कई थिएटर्स में ‘हाउसफुल’ के बोर्ड लगे दिखे। ट्रेड एनालिस्ट्स के मुताबिक, फिल्म ने रिलीज़ के शुरुआती तीन दिनों में 25 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की है, जो एक सोशल ड्रामा फिल्म के लिए सराहनीय आंकड़ा है। खास बात यह है कि फिल्म को मल्टीप्लेक्स ही नहीं, बल्कि छोटे शहरों में भी अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है।

सोशल मीडिया पर भी ‘हक’ को लेकर खूब चर्चा हो रही है। दर्शक यामी गौतम की परफॉर्मेंस की जमकर तारीफ कर रहे हैं। ट्विटर और इंस्टाग्राम पर #HaqTheFilm ट्रेंड कर रहा है। कई फैंस का कहना है कि यह फिल्म सिर्फ एक कोर्टरूम ड्रामा नहीं, बल्कि एक मजबूत सामाजिक संदेश देती है। एक यूज़र ने लिखा, “यामी गौतम ने फिर साबित कर दिया कि कंटेंट ही स्टारडम है।” वहीं, इमरान हाशमी के फैंस उनके गंभीर और सधे हुए अभिनय की तारीफ कर रहे हैं, जो उनकी पुरानी इमेज से बिल्कुल अलग है।

फिल्म की सिनेमैटोग्राफी और बैकग्राउंड म्यूजिक भी कहानी के साथ पूरी तरह मेल खाते हैं। कोर्टरूम के सीन और भावनात्मक पलों में कैमरे का काम दर्शकों को कहानी में डूबो देता है। डायरेक्टर ने कोशिश की है कि फिल्म न तो उपदेशात्मक लगे और न ही बोझिल — बल्कि यह समाज के जटिल मुद्दों को दिल से महसूस कराने वाला अनुभव बन जाए।

‘हक’ सिर्फ मनोरंजन के लिए नहीं बनी, बल्कि सोच जगाने वाली फिल्म है। यह दिखाती है कि जब बात न्याय और समानता की आती है, तो कोई भी महिला कमज़ोर नहीं होती। यामी गौतम की आंखों का आत्मविश्वास और इमरान हाशमी के चेहरे का द्वंद — दोनों मिलकर फिल्म को भावनात्मक रूप से प्रभावशाली बनाते हैं।

फिल्म समीक्षकों ने भी इसे सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। कई समीक्षाओं में इसे “साल की सबसे दमदार सोशल ड्रामा फिल्म” बताया गया है। कुछ समीक्षक कहते हैं कि यह फिल्म उस वर्ग तक पहुंचनी चाहिए जो यह मानता है कि सिनेमा सिर्फ मनोरंजन है — क्योंकि ‘हक’ यह साबित करती है कि सिनेमा बदलाव का जरिया भी बन सकता है।

कुल मिलाकर, ‘हक’ एक ऐसी फिल्म है जो दिल को छू जाती है और दिमाग को सोचने पर मजबूर करती है। यामी गौतम और इमरान हाशमी की केमिस्ट्री, गहन संवाद और सशक्त संदेश इसे एक यादगार अनुभव बनाते हैं। यह फिल्म न सिर्फ़ बॉक्स ऑफिस पर अपनी जगह बना रही है, बल्कि दर्शकों के दिलों में भी अपनी “हक़ीक़ी पहचान” छोड़ रही है।

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