सोशल संवाद/डेस्क: भारतीय लेखक रस्किन बॉन्ड ने एक कहावत कही थी की सपने देखने की उम्र नहीं होती और जब तक हम सांस लेते है तबतक सपने देखने चाहिए, इसी कहावत को सच कर दिखाया है खूंटी के कालामाटी के रहने वाले गंगा उरांव ने, गंगा उरांव ने 56 वर्ष की उम्र में मैट्रिक की परीक्षा दी और पास करके मिसाल पेश किया है। गंगा उरांव ने खूंटी जिले के बिरसा उच्च विद्यालय चालागी से इस वर्ष मैट्रिक की परीक्षा दी।
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गंगा उरांव ने झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक) की ओर से संचालित 10वीं बोर्ड परीक्षा में 47.2 प्रतिशत अंक लाकर सफलता हासिल की। गंगा की मैट्रिक परीक्षा में मिली इस सफलता पर उनके परिवार में खुशी की लहर है।
फेल हो गए तों क्या कहेंगे लोग:
गंगा उरांव ने बताया की इतने उम्र में बोर्ड परीक्षा दे रहे है अगर फेल हो गए तों लोग क्या कहेंगे, इसके डर से उन्होंने अपने परिवार में इसकी जानकारी किसी को नहीं दी की वो मैट्रिक की परीक्षा में शामिल गो रहे है। चुपके-चुपके रजिस्ट्रेशन करवाया और परीक्षा में शामिल हुए और ये सफलता हासिल की।
सेवा स्थायीकरण में मैट्रिक पास नहीं होना सबसे बड़ी बाधा
हर बार अधिकारीयों से स्थायीकरण की बात गंगा करते थे। लेकिन मैट्रिक पास नहीं होना इसमें सबसे बड़ी बाधा बताते थे। ऐसे में गंगा उरांव ने मैट्रिक की परीक्षा लिखने का मन बनाया और परीक्षा में सफल भी हुए।
गंगा उरांव ने मैट्रिक पास करने की सफलता पर कहा कि वो सिर्फ चालीस रुपए के लिए मैट्रिक की परीक्षा नहीं दे पाए थे। उस दौरान उनकी माली हालत अच्छी नहीं थी। पैसा नहीं रहने के कारण वो बोर्ड परीक्षा में सम्मिलित नहीं हो सके थे। वहीं जब से वह नौकरी कर रहे हैं। तब से कम तनख्वाह की वजह से भी उनका गुजारा बड़ी मुश्किल से होता है। सेवा स्थायी हो जाए, इस वजह से उन्होंने मैट्रिक परीक्षा दी है और उम्मीद है कि इस बार अधिकारी उनके इस प्रयास का साथ जरूर देंगे।