सोशल संवाद/डेस्क: सुप्रीम कोर्ट वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। कोर्ट इस मामले में अंतरिम आदेश भी जारी कर सकता है। चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने 15 मई को सुनवाई 20 मई तक के लिए टाल दी थी। उन्होंने कहा था कि वे अंतरिम निर्देश जारी करने के लिए तीन मुख्य मुद्दों पर बहस सुनेंगे। लीगल एक्सपर्ट से इन तीन मुद्दों के बारे में समझते हैं, जिस पर मुस्लिम पक्ष की सबसे ज्यादा आपत्तियां हैं। पहले, पूर्व चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही थी।
जस्टिस खन्ना की 13 मई को सेवानिवृत्ति के बाद इस मामले को जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच को ट्रांसफर कर दिया गया। जस्टिस खन्ना के रिटायर होने के बाद अब जस्टिस गवई की बेंच इस मामले को देखेगी। इसे लेकर पाकिस्तान, बांग्लादेश और तुर्की के मुस्लिमों की नजर है।
जिन दलीलों को आज सुना जाना है, उनमें पहला मुद्दा वक्फ बाई यूजर या वक्फ बाय डीड है। इसका मतलब वक्त घोषित संपत्तियों को गैर अधिसूचित करने से संबंधित है। वहीं, दूसरा मुद्दा राज्य सरकार वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्त परिषद संरचना से संबंधित है, जबकि याचिका में तीसरा मुद्दा वक्त बोर्ड में गैर मुसलमानों को शामिल करने के विरोध में भी है।