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हाई कोर्ट ने पूछा- मारवाड़ी ट्रस्ट किस कानून के तहत बनी और उसे किस कानून के तहत ठाकुर बाड़ी राधा कृष्ण मंदिर की जमीन कब्जा कर बनायीं

सोशल संवाद /रांची : झारखण्ड उच्च न्यायालय, रांची में न्यायाधीश राजेश कुमार की पीठ में कपूर टुडू और विजेंद्र शर्मा द्वारा ठाकुर बाड़ी राधा कृष्ण मंदिर की जमीन कब्जा कर बनाई गयी कामर्शियल काॅम्प्लेक्स के खिलाफ दायर रिट संख्या 3866/2020 की सुनवाई हुई! पिटीशनर ने अदालत द्वारा पारित 11.12.2023 के आदेश का अनुपालन नहीं होने के खिलाफ अवमानना का पिटीशन दायर किया है जबकि सुमन अग्रवाल, कमल अग्रवाल और अमित अग्रवाल जिन पर राधाकृष्ण सार्वजनिक मंदिर की जमीन हड़प कर अवैध तरीके कामर्शियल काॅम्प्लेक्स बना कर रियल स्टेट का धंधा करने का आरोप है, उनलोगों ने अदालत के बिना निर्देश के एक हलफनामा दायर किया है और न्यायालय के 11.12.2023 के आदेश को आंशिक रूप से वापस लेने का पिटीशन लगाया है. न्यायाधीश ने इन पिटीशनों की प्रवृतियों के मद्देनजर कहा कि ये दोनों पिटीशन उसी माननीय न्यायाधीश द्वारा सुने जायेंगे जिन्होंने 11.12.2023 का आदेश पारित किया है अतः इसे माननीय न्यायाधीश एस एन पाठक की पीठ में स्थानांतरित किया जाता है.

ज्ञातव्य है कि माननीय न्यायालय द्वारा अपने 11.12.2023 के आदेश के द्वारा जमशेदपुर के उपायुक्त को ठाकुर बाड़ी राधा कृष्ण मंदिर की जमीन कब्जा कर बनाई गयी कामर्शियल काम्प्लेक्स के बैंक अकाउंट और वित्तीय लेनदेन को तत्काल प्रभाव से जब्त करने का आदेश दिया था तथा उक्त कारवाई के संदर्भ में अदालत में हलफनामा दायर करने के लिए कहा था जिसे उपायुक्त ने दायर नहीं किया है। आज की सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने कहा कि सरकार, उपायुक्त और जमशेदपुर नोटिफाईड एरिया कमिटी (अक्षेष) की तरफ से हलफनामा दायर किया गया है पर उसकी काॅपियां पिटीशनर के अधिवक्ताओं को नहीं मिली है.

ज्ञातव्य है भी कि बजरंग दल के सदस्य और पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के करीबी कमल अग्रवाल, सुमन अग्रवाल, अमित अग्रवाल और इनके गैंग ने एक प्राईवेट ट्रस्ट बनाकर ठाकुर बाड़ी राधा कृष्ण मंदिर की बेशकीमती जमीन पर झारखंड धार्मिक हिंदू ट्रस्ट बोर्ड के एक सदस्य रजनी रंजन प्रसाद, तत्कालीन उपायुक्त अमित कुमार और अक्षेष के तत्कालीन विशेष पदाधिकारी दीपक सहाय और तत्कालीन आरक्षी अधीक्षक के साथ मिलीभगत कर कब्जा कर किया और एक बहुमंजिला कामर्शियल काम्प्लेक्स बना कर अवैध पैसे कमाने शुरू कर दिये। ज्ञातव्य यह भी है कि 1912 में एक आदिवासी ने उक्त जमीन को राधा कृष्ण मंदिर बनाने के लिए दान में दी और 1976 में पटना उच्च न्यायालय के डिविजन बेंच ने उक्त मंदिर को बिहार धार्मिक हिंदू ट्रस्ट बोर्ड की संपति करार दिया जब दो सेवायतों ने उक्त मंदिर को 1970 के दसक में अवैध कब्जा की कुत्सित कोशिश की थी.

ज्ञातव्य है कि उन्हीं दो सेवायतों के परिवारवालों (पुरुषोत्तम जोशी ने 1989 में तीन फर्जी गिफ्ट डीड बनाये जिसमें दो सुमन अग्रवाल के नाम पर थे! इन दोनों फर्जी गिफ्ट डीड के आधार पर सुमन अग्रवाल ने अपने भाई कमल अग्रवाल, पुत्र अमित अग्रवाल और कुछ अन्य अवांछित तत्वों का गैंग बनाकर राधाकृष्ण मंदिर की उक्त जमीन पर अवैध कब्जा करने का प्रयास शुरू कर दिया था!

ज्ञातव्य है कि 11.12.2023 को हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव ने माननीय उच्च न्यायालय को बताया कि ठाकुर बाड़ी राधा कृष्ण मंदिर को गैरकानूनी तरीके से एक मारवाड़ी प्राईवेट ट्रस्ट द्वारा कब्जा कर अवैध तरीके से कामर्शियल काम्प्लेक्स बनाया है और उससे अवैध कमाई किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सत्य नारायण ठाकुर बाड़ी ट्रस्ट मारवाड़ियों का एक प्राईवेट ट्रस्ट है और इसे ठाकुर बाड़ी मंदिर में प्रवेश करने का भी अधिकार नहीं है। उन्होंने आगे बताया था कि उक्त जमीन पर सिर्फ झारखंड धार्मिक हिंदू ट्रस्ट बोर्ड को निर्माण करने या मंदिर में कोई बदलाव करने का हक है किसी प्राईवेट ट्रस्ट को नहीं। उन्होंने आगे बताया कि सारे संबधित अधिकारियों का दरवाजा खटखटाया गया पर किसी ने मंदिर की सुध नहीं ली। उन्होंने आगे बताया था कि अक्षेष ने माना है कि उक्त कामर्शियल काम्प्लेक्स का कोई नक्सा अक्षेष ने पास नहीं किया है और अक्षेष द्वारा तीन नोटिस तालिम करने के बाद भी उक्त कामर्शियल काम्प्लेक्स को गिराया नहीं गया बल्कि ₹2 लाख पेनाल्टी लेकर अग्रवाल बंधुओं का अवैध कब्जा बरकरार रहने दिया गया। उन्होंने आगे बताया था कि तत्कालीन उपायुक्त अमित कुमार उक्त कामर्शियल काम्प्लेक्स के उद्घाटन पर एक विशेष अतिथि के रूप में शामिल हुए थे।

ज्ञातब्य है कि अदालत ने झारखंड राज्य से पूछा है कि वह बताये कि अवैध निर्माण को क्यों नहीं रोका गया? अदालत ने यह भी पूछा है कि प्राईवेट मारवाड़ी ट्रस्ट किस कानून के तहत बनी और उसे किस कानून के तहत उक्त मंदिर की जमीन पर कब्जा करने दिया गया। माननीय अदालत ने उपायुक्त को कहा है कि वह बताये कि कब से वह कामर्शियल काम्प्लेक्स चल रही है, कितने पैसे कमाये गये, पैसे कहाँ जमा किये गये और कौन उसका लाभार्थी है। माननीय उच्च न्यायालय ने झारखंड धार्मिक हिंदू ट्रस्ट बोर्ड को निर्देश दिया है कि वह बताये कि उक्त कामर्शियल काम्प्लेक्स को सरकार के अधिकार में बनाया गया है या किसी प्राईवेट ट्रस्ट को अधिकृत किया गया कि वह उक्त कामर्शियल काम्प्लेक्स को बनाये और अपनी इच्छानुसार कोई कमिटी बनाकर उसे चलाये।

आज की सुनवाई में अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव के अलावे रोहित सिंहा, विकास कुमार, निर्मल घोष और आई हसन शामिल थे।

Tamishree Mukherjee
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