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अगर जमशेदपुर को ‘बनाना’ सिटी बनने से बचाना है तो….? – जवाहरलाल शर्मा

सोशल संवाद / डेस्क : मानवाधिकार कार्यकर्ता जवाहरलाल शर्मा ने जमशेदपुर के वोटरों से अपील की है कि वह तथा कथित जाने माने नेताओं तथा राजनीतिक दलों से सावधान रहें। पिछले 20-25 वर्षों से इन तथाकथित जाने माने नेताओं तथा राजनीतिक दलों ने जमशेदपुर को अपनी निजी रियासत समझ रखा है एवं जनता (वोटरों) को अपना बंधुआ मजदूर समझ लिया है और समझ लिया है कि वे आखिर जाएंगे कहांँ, उनके पास विकल्प ही क्या है?

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यही कारण है कि न तो जमशेदपुर में हवाई अड्डा बन सका और ना एम.जी. एम अस्पताल की  स्थिति में सुधार हो सका। सारे सरकारी स्कूल या तो बंद है या अत्यंत खराब हालत में हैं। शिक्षा के निजीकरण की वजह से गरीब लोग शिक्षा से वंचित हैं। छियासी बस्तियों की समस्या आज भी जस की तस है। कई बड़े-बड़े कारखाने बंद हो गए हैं। नौजवानों का शहर से पलायन तेजी से हो रहा है।उच्च शिक्षा की  भी कोई अच्छी व्यवस्था नहीं है।

पूरे शहर की कानून व्यवस्था खराब हो गई है। लोगों को संविधान के तहत आज तक तीसरा मताधिकार नहीं मिल सका है। सुप्रीम कोर्ट के सन् 1889 मैंपारित तथा नोटिफिकेशन के पालन करवाने की क्षमता तथा इच्छाशक्ति उपरोक्त  नेताओं में एकदम नहीं है। वे चाहते हैं की उनकी पार्टी के कार्यकर्ता केवल उन्हें ही विधायक बनाएं पर वे जीवन में कभी भी खुद विधायक ना बने और जीवन भर उनका झंडा ढ़ोते रहें। अगर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन हो गया होता तो उन सभी कार्यकर्ताओं को तीसरे मतदान के अधिकार के तहत मेयर, डेप्यूटी मेयर और पार्षद बनने का मौका 35 साल पहले ही मिल गया होता। हजारों नौजवानों को राजनीति में आगे बढ़ने का मौका मिला होता।

उपरोक्त तथाकथित नेता तथा पार्टियों पर कब्जा जमाए लोग दावा करते हैं कि उन्होंने सड़क, पुल, नाली, बिजली, पानी, प्रदूषण तथा अन्य नागरिक सुविधाएँ जनता को दिलाई हैं। यह  थोड़ा बहुत सत्य है भी। जमशेदपुर में अधिकांश काम तो टाटा स्टील करती है। टाटा स्टील यह सब काम नेताओं के कहने से नहीं वरन् 1989 में सुप्रीम कोर्ट में पारित आदेश तथा नोटिफिकेशन के डर से करती है कि कहीं नगर निगम ना बन जाए और उसे कई हजार करोड़ टैक्स न भरना पड़े। अतः टाटा स्टील इन नेताओं तथा सरकार को खुश करने के लिए श्रेय देती रहती है ताकि वह अपना मुंँह बंद रखें। सारे नेता विकास का श्रेय ले लेते हैं पर करते नहीं के बराबर हैं।शायद ही कभी किसी नेता या पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत नगर निगम की बात अपने राजनीतिक एजेंडा में रखी हो ताकि कहीं कॉर्पोरेट घराना नाराज ना हो जाए।

टी. एम. एच के कुछ मरीजों के बिल माफ करवा देना जो कि सी,एस,आर के तहत होता है नेता लोग वाह वाही लूटना चाहते हैं। लगभग सभी नेता परिवार वाद, भाई भतीजा वाद, क्वार्टर, बैंगलो, ठेका,  दल बदल, अनैतिकता, मानवाधिकार हनन जैसे कृत्यों के लिए कहीं ना कहीं दोषी हैं। इनमें से तो किसी ने किसी को रात 3:30 फोन करके दस्तावेज लिया और कंपनी का बैंगलो ले लिया था। आम आदमी का रास्ता ही बंद करवा दिया।

एक तरह से देखा जाए तो सभी एक जैसे हैं अतः अब समय आ गया है कि इन तथाकथित पुराने चेहरों को बदलकर नए चेहरों को विजयी बनाया जाए।कई नौजवान, जाने माने समाज सेवी, शहर की जानी मानी पत्रकार भी स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में जनता के समक्ष हैं। क्यों ना उन्हें मौका दिया जाए और उन्हें मौका देकर नौजवानों तथा महिला उम्मीदवार पर भरोसा किया जाए। अगर हमने इस बार गलत व्यक्ति को चुन लिया तो अगले 5 सालों तक फिर जमशेदपुर को एक बनाना सिटी के रूप में देखना व झेलना पड़ सकता है।

Tamishree Mukherjee
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