राजनीति

जिसकी तारीफ मोदी करें, उसे कैबिनेट संग इस्तीफा देना पड़ जाए तो समझ लें कि यह भाजपा की क्लीन बोल्ड करने वाली गुगली है

सोशल संवाद/डेस्क ( रिपोर्ट – आनंद सिंह ) : जरा क्रोनोलॉजी को समझें। 11 मार्च को मोदी, खट्टर, गड़करी, नड्डा आदि बड़े नेताओं का जमघट है। गुरुग्राम में बड़ी सभा हो रही है। मोदी के हाथ में माइक है। वह कह रहे हैः खट्टर जी से मेरा संबंध बहुत पुराना है। संघ में हम लोग थे। भाजपा में भी थे। उन दिनों मैं पार्टी का काम-काज हरियामा में देख रहा था। खट्टर साहब के पास एक पुरानी मोटरसाइकिल थी। वह मोटरसाइकिल चलाते थे और मैं पीछे बैठा रहता था। वह जहां ले जाते, मैं वहां जाता। खट्टर जी ने प्रदेश को भी शानदार तरीके से चलाया। विकास योजनाएं पूरी की और अभी भी कर रहे हैं।

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अब दिन बदलता है। 12 मार्च का दिन आता है। 12 मार्च की सुबह 10 बजे एक चैनल पर खबर चलती हैः पूरे मंत्रिमंडल के साथ खट्टर दे सकते हैं इस्तीफा। दिमाग ठनकता है। ऐसा रात भर में क्या हो गया कि जो सीएम है, पूरी कैबिनेट है, वह एकाएक इस्तीफा दे रही है। कई और चैनल बदलता हूं। सभी में वही खबर। फिर अपने हरियाणा के पत्रकार साथियों को फोन लगाता हूं। सबसे शानदार जिस साथी ने वर्णन किया, उनकी बात यहां जस की तस रख रहा हूं…

11 मार्च की रात 12 बजे दुष्यंत चौटाला ने जेपी नड्डा से समय मांगा। समय़ मिल गया। दुष्यंत ने कहा कि हमें एक भी लोकसभा की सीट नहीं चाहिए। आप पूरी 10 की 10 पर चुनाव लड़ो। हमारी एक ही मांग है। नड्डा ने पूछा क्या। दुष्यंत ने कहाः हरियाणा में महिलाओं का पेंशन 5100 रुपये कर दो। नड्डा ने कहा, ठीक है। देखते हैं। इतना कह कर दुष्यंत रात एक बजे अपने घर पहुंचे। उन्होंने अपने पिता अजय चौटाला से कहा कि अब वो सीट दें, ना दें, हमें कोई मतलब नहीं। हमने 5100 रुपये पेंशन की बात कह दी है। अजय चौटाला ने बेटे की पीठ पर धीरे से धौल जमाई और कहा-तू अपने दादाजी का सबसे बढ़िया पोता है।

ऐसा बहुत कम हुआ, जब प्रधानमंत्री ने किसी मुख्यमंत्री की तारीफ की हो और अगली सुबह मुख्यमंत्री को पूरी कैबिनेट के साथ इस्तीफा देना पड़ा हो। इसके कई अर्थ हैं। पहला तो ये कि मोदी ने मित्रता का कर्ज सार्वजनिक तौर पर तारीफ करके चुकाई और संकेत किया कि बस, अब रहने दो। दूसरा अर्थ ये कि भाजपा-संघ में कोई इतना ताकतवर है, जो मोदी से भी आगे चलता है, जिसकी बातें मोदी भी नहीं काट पाते। हकीकत क्या है, यह आने वाले दिनों में पता चलेगा।

वैसे, खट्टर सरकार का परफार्मेंस 2019 से ही लगातार खराब चल रहा था। जितने भी इंटरनल सर्वे आए, सभी में उनकी निगेटिव मार्किंग थी। खास कर समस्याओं को टेकल करने के मामले में खट्टर जीरो साबित हुए थे। हालिया कई सर्वे यह बता रहे थे कि अब इनके चेहरे पर कोई भी चुनाव लड़ना कहीं से भी उचित नहीं होगा। लिहाजा, मित्र को मित्र ने ही तारीफों के पुल बांध कर उनके साढ़े 9 साल के कार्यकाल के बाद विराम देने का कार्य किया। तत्क्षण जिस तरीके से कुरुक्षेत्र के सांसद नायब सिंह सैनी को चीफ मिनिस्टर बनाया गया, वह लोगों को चकित भी करता है।

अब दुष्यंत चौटाला मैदान में फिर से आ गये हैं। बुधवार को उन्होंने हिसार में रैली की। उन्होंने भाजपा पर एक के बाद एक कई हमले भी किये। अब हरियाणा में साढ़े चार सरकार चला कर आये हैं तो गुबार तो बहुत होगा क्योंकि थे वे 10 विधायकों के नेता, जिन्हें बाकायदा डिप्टी चीफ मिनिस्टर बन कर राज्य की सेवा करने का मौका मिला। अब, सत्ता हाथ से जाने के बाद उनके तेवर सख्त हो गये हैं तो मानना पड़ेगा कि वह अच्छे राजनीतिज्ञ हो चले हैं। वैसे, आने वाले दिनों में लोकसभा के चुनाव में दुष्यंत अगर एकाध लोकसभा की सीटें जीत कर ले आते हैं तो मानना पड़ेगा कि छोरे में दम है….

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