सोशल संवाद/डेस्क/Illegal Drug Business: झारखंड में नशे का काला कारोबार अब नए-नए तरीको से किया जा रहा है। बता दें ताजा खुलासे में सामने आया है कि कबाड़ी की दुकानें और गोदाम नशे की सप्लाई चेन का अहम हिस्सा बन चुके हैं। देखने में साधारण लगने वाले कबाड़ के धंधे की आड़ में ब्राउन शुगर, गांजा और अन्य मादक पदार्थों की खेप छिपाकर सप्लाई की जा रही है। सूत्रों के अनुसार, कबाड़ी के गोदामों में कबाड़ की बोरियों के बीच नशे का सामान छुपाये जाता है और कबाड़ ढोने वाले वाहनों से यह माल आसानी से एक इलाके से दूसरे इलाके तक पहुंच जाता है।
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स्थानीय लोगों का कहना है कि गली-मोहल्लों और सुनसान जगहों पर बनी कबाड़ी की दुकानों पर पुलिस का शक कम होता है, इसलिए नशा माफिया इन्हें सुरक्षित अड्डे की तरह इस्तेमाल करते है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक इस गोरखधंधे में गरीब और बेरोजगार युवाओं को मामूली लालच देकर शामिल किया जाता है। इस काले धंदे का असर सीधा समाज पर पड़ रहा है, युवाओं का भविष्य नशे की गिरफ्त में बर्बाद हो रहा है तो वही नशे के कारण अपराध भी लगातार बढ़ रहे हैं।
प्रशासन की ओर से ऐसे कबाड़ियों पर कड़ी निगरानी रखने की बात कही जाती है, लेकिन जमीनी स्तर पर इसका असर दिखाई नहीं देता। अधिकारियों का मानना है कि कबाड़ी की आड़ में आगे बढ़ता यह नशे का कारोबार आने वाली पीढ़ियों के लिए बेहद खतरनाक और पुलिस के लिए बड़ी चुनौती है।








