सोशल संवाद / नई दिल्ली : दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा ने आज अधिवक्ता सत्या रंजन एवं दिल्ली भाजपा के मीडिया रिलेशन प्रमुख विक्रम मित्तल की उपस्थिति में एक पत्रकार सम्मेलन में कहा है की दिल्ली सरकार में नकली जातीय प्रमाण पत्र बना कर दलितों को मिलने वाले आरक्षण लाभ की लूट की जा रही है और इसमें विधायकों की भी भूमिका संदिग्ध है और इस सबकी सी.बी.आई. जांच आवश्यक है।
वीरेन्द्र सचदेवा ने कहा है की लम्बे समय से हमारी जानकारी में आ रहा था की दिल्ली में नकली जातीय प्रमाण पत्र एवं आधार कार्ड बहुत आसानी से बन रहे हैं। सबसे ज्यादा शिकायतें पश्चिम दिल्ली से मिल रही थीं अतः हमने अपनी एक वकीलों की टीम इसकी आंतरिक जांच में लगाई। इस आंतरिक जांच टीम ने सबसे पहले द्वारका विधानसभा से मिली शिकायतों को उठा कर जांचा तो पाया की तहसीलदार कार्यालय से जारी 8 जातीय प्रमाण पत्रों की जो शिकायत सामने आई हैं वह सभी प्रमाण पत्र फर्जी हैं और इनमे से 7 जातीय प्रमाण पत्र फर्जी आधार कार्ड के आधार पर बनाये गये हैं।
यहां यह ध्यान देने योग्य है की दिल्ली भर की तरह द्वारका में भी क्षेत्रीय विधायक के दबाव में आधार कार्ड बनाने की मशीन विधायक कार्यालय में लगीं हैं और सम्भवतः वह नकली आधार कार्ड जिन्हे आधार बना तहसीलदार कार्यालय से फर्जी जातीय प्रमाण पत्र जारी हुए वह विधायक कार्यालय से बने हों।
भाजपा जांच में पकड़े गये 8 में से अधिकांश फर्जी जातीय प्रमाण पत्र धारकों के नौकरी, शैक्षणिक आदि लाभ उठाने की भी जानकारी सामने आई है जो राजनीतिक संरक्षण के बिना मुमकिन नही है। द्वारका में अल्प समय में तहसीलदार कार्यालय द्वारा जारी 8 फर्जी जातीय प्रमाण पत्र सामने आये हैं और यह असम्भव है की यह राजनीतिक संरक्षण के बिना हो गया हो।
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने कहा है की यह असम्भव है की किसी क्षेत्र का तहसीलदार लगातार फर्जी जातीय प्रमाण पत्र जारी करे और विधायक एवं सरकार को जानकारी ना हो, अतः इस पूरे स्कैम की सी.बी.आई. जांच आवश्यक है।
वीरेन्द्र सचदेवा ने कहा है की हमने जो फर्जी जातीय प्रमाण पत्र बना कर, नकली आधार कार्ड बना कर धांधली का मामला सामने रखा है वह एक विधानसभा में अल्प समय में जारी किए गये, ऐसे में दिल्ली वाले सोचें की सभी 70 विधिनसभा क्षेत्रों में दलित जातीय प्रमाण पत्रों के नाम पर किस तरह और कितनी लूट अरविंद केजरीवाल सरकार के 10 साल में हुई होगी ? अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी की सरकार ने समाज के हर वर्ग को ठगा है अतः इस सब की जांच आवश्यक है।
अधिवक्ता सत्य रंजन ने कहा कि इन मामलों का समग्र विश्लेषण यह दिखाता है कि इसमें एक निश्चित पैटर्न उभरता है और ये सभी एक पूर्व नियोजित साजिश का हिस्सा हैं। यह राज्य की मशीनरी के दुरुपयोग और शासन में प्रमुख पदों पर आसीन लोगों द्वारा सत्ता के दुरुपयोग का मामला है। यह मामला जालसाजी, फर्जी दस्तावेज बनाने, सार्वजनिक रजिस्टर में धोखाधड़ी, नकली दस्तावेज को असली के रूप में उपयोग करने, आपराधिक षड्यंत्र और धोखाधड़ी का है। यह कोई निर्दोष भूल नहीं है, बल्कि इसे जानबूझकर, सोच-समझकर और धोखाधड़ीपूर्ण तरीके से किया जा रहा है। ऐसे फर्जी जाति प्रमाणपत्र बनाने के कारण संसाधनों का दुरुपयोग हो रहा है और असली दलितों को उनके वैध अधिकारों और लाभों से वंचित किया जा रहा है।
चूंकि इन फर्जी दस्तावेजों का निर्माण लोगों में शासन के प्रति आक्रोश और विश्वास की कमी पैदा कर सकता है और यह भारतीय न्याय संहिता की धारा 61/318/335/336/337/338/340 के तहत आपराधिक अपराधों को स्पष्ट रूप से सिद्ध करता है, इसलिए यह जरूरी है कि जांच की जाए कि इन आपराधिक गतिविधियों में कौन लोग शामिल हैं, कितने ऐसे फर्जी और जाली प्रमाणपत्र जारी किए जा रहे हैं और दिल्ली के किन-किन अन्य जिलों में ऐसी आपराधिक गतिविधियाँ चल रही हैं ताकि दोषियों को गिरफ्तार कर दंडित किया जा सके।