सोशल संवाद/ जमशेदपुर: 19 जुलाई 24 को बैंक राष्ट्रीयकरण दिवस मनाने के लिए एसडीबीईए, बीईएफआई की जिला इकाई के कार्यक्रम के अनुसार शाम 5.30 बजे पोस्टल पार्क, बिस्टुपुर में एक संयुक्त रैली का आयोजन किया गया। गौरतलब है कि 19 जुलाई 1969 को 14 बैंक और उसके बाद 6 और बैंक तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार द्वारा राष्ट्रीयकरण किया गया था।
इस कदम ने भारत में बैंकिंग सेवा का एक नया क्षितिज खोल दिया, जिससे दूर-दराज के गांवों तक के करोड़ों लोगों को सस्ती कीमत पर सेवा प्रदान की गई। इसने लाखों युवाओं को रोजगार प्रदान किया और साथ ही कृषि सहित प्राथमिकता वाले क्षेत्र के लिए आवश्यक ऋण प्रदान किए, जिसके परिणामस्वरूप कृषि क्षेत्र में भारी वृद्धि हुई। उत्पादन और यहां तक कि अन्य क्षेत्रों में भी। हरित क्रांति इसका एक उदाहरण रही है। इसके अलावा, सभी राष्ट्रीयकृत बैंक 14 लाख करोड़ के बट्टे खाते में डालने के बावजूद सरकार को भारी लाभ और लाभांश दे रहे हैं।
वर्तमान सरकार इन राष्ट्रीयकृत बैंकों को बड़े घरानों को बेचने और अपने बजटीय घाटे को पूरा करने और उनके द्वारा लिए गए भारी ऋणों के पुनर्भुगतान के लिए एक कोष जुटाने पर लगी है। एसडीबीईए के महासचिव कॉमरेड सुजॉय रॉय ने कहा, बीईएफआई निजीकरण के कदम का स्पष्ट रूप से विरोध करता है और इस प्रकार बैंक राष्ट्रीयकरण नीति को ऊंचा रखता है और इस दिवस को मनाता है। इस कार्यक्रम में बैंकों से एनसीबीई, आईईएजेडी, एआईएलएसए, बीएसएसआर यूनियन जैसे कई अन्य संगठनों ने भी बड़ी संख्या में हिस्सा लिया।
कॉम.सुजॉय रॉय, कॉम.रिंटू रजक, कॉम हीरा अरकने,कॉम.पीयूष रंजन गुप्ता, कॉम.एस.के.करन, कॉम.आर एन पी सिंह ने रैली को संबोधित करते हुए मोदी सरकार के निजीकरण कदम की निंदा की। कार्यवाही की अध्यक्षता कामरेड डी.एन.सिंह ने की।इस अवसर पर बड़ी संख्या में बैंक के महिला कर्मी,एवं अन्य संस्थानों के सदस्य मौजूद रहे।