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असम के लोगों की नजर में सरमा देश के सबसे भ्रष्ट मुख्यमंत्री, असम में भाजपा नेता जमीनें हड़प रहे- कांग्रेस 

By Tamishree Mukherjee

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असम में भाजपा नेता जमीनें हड़प रहे- कांग्रेस 

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सोशल संवाद / नई दिल्ली :  कांग्रेस ने असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा और उनके परिवार के सदस्यों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं। इसी के साथ प्रदेश की बदहाली, बिगड़ती कानून व्यवस्था, अवैध तरीके से हो रही रैट-होल माइनिंग समेत अन्य मुद्दों पर भी भाजपा सरकार को घेरा।

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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि असम में मोदी जी ने जुमलों का कारखाना लगाया है और मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा भ्रष्टाचार के प्रतीक हैं। असम में बेरोजगारी, चाय बागान कर्मियों की स्थिति और भाजपा के कुशासन से राज्य पिछड़ गया है।

वहीं नई दिल्ली स्थित कांग्रेस कार्यालय में पत्रकार वार्ता करते हुए असम कांग्रेस प्रभारी जितेन्द्र सिंह, लोकसभा में उपनेता गौरव गोगोई, मीडिया एवं प्रचार विभाग के अध्यक्ष पवन खेड़ा, असम कांग्रेस अध्यक्ष भूपेन कुमार बोरा, असम में नेता विपक्ष देबब्रत सैकिया, सांसद रकीबुल हुसैन व प्रद्युत बोरदोलोई, समेत अन्य कांग्रेस नेताओं ने सवाल किया कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जानते हैं कि असम में किस स्तर पर भ्रष्टाचार हो रहा है और क्या वह इस पर कोई कार्रवाई करेंगे।

कांग्रेस प्रभारी जितेन्द्र सिंह ने कहा कि असम में चाय बागान के मालिकों को डराया-धमकाया जा रहा है। मुख्यमंत्री के सहयोगी, उनके परिजन चाय बागान खरीद रहे हैं। हिमंता बिस्वा सरमा चाय बागानों को खत्म कर उनका व्यवसायीकरण करना चाहते हैं। इसलिए कई सालों से चाय बागान चला रही कई बड़ी कंपनियां असम से चली गईं हैं। उन्होंने आगे कहा कि हिमंता बिस्वा सरमा की पत्नी चाय बागान के पास एलिफेंट कॉरिडोर में वाणी ग्रीन रिजॉर्ट चला रही हैं। क्या इसकी अनुमति ली गई है।

जितेन्द्र सिंह ने कहा कि हिमंता बिस्वा सरमा का परिवार मालामाल हो रहा है। उनके परिवार ने पिछले पांच वर्षों में असम में पूरा साम्राज्य खड़ा कर दिया है। असम के मुख्यमंत्री के पास कई चाय बागान, न्यूज़ पोर्टल, मैकडॉनल्ड्स का बड़ा आउटलेट, इंटरनेशनल स्कूल और कई सारी जमीनें हैं। माजुली, कामरूप, गुवाहाटी, नौगांव, गोलाघाट समेत आदिवासी इलाकों में भी जमीनें खरीदी गईं हैं, जहां नियम के मुताबिक जमीन नहीं खरीदी जा सकती। उन्होंने यह भी कहा कि असम में मुख्यमंत्री की नाक के नीचे अवैध तरीके से रैट-होल माइनिंग हो रही है।

असम के बिगड़ते हुए हालातों के बारे में बताते हुए असम कांग्रेस अध्यक्ष भूपेन कुमार बोरा ने कहा कि प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति पूरी तरह से खराब है। कुछ दिनों पहले उनके ऊपर हमला हुआ था, लेकिन आज तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई। दो दिन पहले कांग्रेस के सांसद रकीबुल हुसैन पर भी हमला हुआ। उन्होंने आगे कहा कि असम में पिछले तीन साल में 1,600 सरकारी स्कूल बंद हो चुके हैं। पूरे देश में सबसे ज्यादा शराब की दुकानें असम में हैं। असम की अर्थव्यवस्था को संकटग्रस्त बताते हुए उन्होंने कहा कि हिमंता बिस्वा की सरकार हर महीने 2,000 करोड़ रुपये का ऋण ले रही है। 

बोरा ने कहा कि नरेंद्र मोदी ने 2014 लोकसभा चुनाव के समय वादा किया था कि असम के 11 लाख चाय बागान मजदूरों की दिहाड़ी 351 रुपये की जाएगी। लेकिन आज ये मजदूरी 250 रुपये और 220 रुपये के बीच है। नरेंद्र मोदी ने यह भी वादा किया था कि असम के छह समुदायों को 100 दिन के अंदर अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया जाएगा। आज तक ये वादा पूरा नहीं हुआ। 

गौरव गोगोई ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी न खाऊंगा और न खाने दूंगा की बात कहते हैं, लेकिन असम में मुख्यमंत्री के परिवार ने हर जिले में जमीनें खाई हैं। भाजपा खुद सरमा पर लगाए गए लुईस बर्जर और शारदा घोटाले जैसे गंभीर भ्रष्टाचार के आरोपों को भूल चुकी है। उन्होंने पूछा कि क्या प्रधानमंत्री मोदी हिमंता बिस्वा सरमा के खिलाफ लगे आरोपों की निष्पक्ष जांच करवाएंगे।

मणिपुर हिंसा पर बोलते हुए गोगोई ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने सरमा को नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस का संयोजक बनाया था। लेकिन मणिपुर में इस स्तर पर हिंसा हुई कि वह आज तक पूरी तरह थमी नहीं है। 

वहीं देबब्रत सैकिया ने कहा कि नरेंद्र मोदी ने असम समझौते को पूरी तरह लागू करने का वादा किया था। इसके तहत कहा गया था कि अवैध प्रवासियों को वापस भेजा जाएगा, लेकिन असम समझौते को नकारते हुए सीएए के तहत प्रदेश में विदेशियों को नागरिकता देकर बसा दिया गया। उन्होंने बताया कि असम में जब दूसरी बार सीएए के खिलाफ आंदोलन हुआ तो अमित शाह ने संसद में 2019 में कहा था कि असम समझौते की आत्मा यानी खंड-6 को हर तरह का संरक्षण दिया जाएगा, लेकिन इस पर बनाई गई कमेटी की रिपोर्ट भारत सरकार ने स्वीकार ही नहीं की, जो कि असम के साथ धोखा है। उन्होंने आगे कहा कि बाढ़ असम की बड़ी समस्या है। कहा गया था कि इसे राष्ट्रीय समस्या माना जाएगा और इसके समाधान के लिए फंड भी दिया जाएगा, लेकिन असलियत में कुछ हुआ ही नहीं।

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