सोशल संवाद/डेस्क : राजधानी दिल्ली के प्रतिष्ठित इंडिया गेट पर रविवार देर शाम एक ऐसा घटनाक्रम सामने आया जिसने सुरक्षा एजेंसियों से लेकर राजनीतिक हलकों तक हलचल पैदा कर दी। प्रदूषण के खिलाफ विरोध जताने के नाम पर जुटे एक समूह ने अचानक माहौल को विवादित बना दिया, जब कुछ प्रदर्शनकारियों ने कुख्यात माओवादी कमांडर माड़वी हिड़मा के समर्थन में नारे लगाने शुरू कर दिए। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, “माड़वी हिड़मा अमर रहे” और “हिड़मा जिंदाबाद” जैसे नारे लगाए जाने के बाद कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ गई और पुलिस को तुरंत कार्रवाई करनी पड़ी।

ये भी पढे : Jamshedpur में पहली बार गीता थिएटर का 1-दिवसीय एक्टिंग वर्कशॉप, 30 नवंबर को आयोजन
शुरुआत में यह प्रदर्शन वायु प्रदूषण के खिलाफ जागरूकता अभियान जैसा लग रहा था। प्रदर्शनकारी पोस्टर और बैनर लेकर शांतिपूर्ण तरीके से बैठे थे। लेकिन कुछ देर बाद एक दूसरे गुट ने माड़वी हिड़मा के समर्थन में पोस्टर लहराए और अचानक माहौल तनावपूर्ण हो गया। माड़वी हिड़मा वही माओवादी कमांडर था, जो छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश सीमा पर कई बड़े नक्सली हमलों का मास्टरमाइंड माना जाता था और कुछ समय पहले एक मुठभेड़ में मारा गया था। ऐसे व्यक्ति के समर्थन में नारे लगने से पुलिस की सतर्कता बढ़ना स्वाभाविक था।
जैसे ही पुलिस ने नारे लगाने वालों को हटाने की कोशिश की, कई प्रदर्शनकारी उत्तेजित हो उठे। अधिकारियों के मुताबिक, भीड़ ने अचानक बैरिकेड्स तोड़ दिए और सड़क के बीचों-बीच बैठकर नारेबाजी शुरू कर दी। पुलिस की बार-बार चेतावनी के बावजूद वे नहीं हटे। इसी दौरान कुछ प्रदर्शनकारियों ने पुलिस कर्मियों पर पेपर स्प्रे कर दिया। यह हमला इतनी अचानक हुआ कि मौके पर मौजूद कई पुलिसकर्मी अपनी आंखें मलते हुए जमीन पर बैठ गए। कुछ को सांस लेने में भी दिक्कत हुई। घायल पुलिसकर्मियों को तुरंत आरएमएल अस्पताल पहुंचाया गया, जहां उनका इलाज जारी है।

घटना के बाद पुलिस कंट्रोल रूम में स्थिति को लेकर हड़कंप मच गया। आसपास की फोर्स को तुरंत मौके पर भेजा गया और थोड़े समय में पूरा इंडिया गेट क्षेत्र पुलिस के सुरक्षा घेरे में आ गया। इसके बाद पुलिस ने वीडियो रिकॉर्डिंग, मोबाइल फुटेज और मौके पर मौजूद अधिकारियों से मिली जानकारी के आधार पर एक-एक प्रदर्शनकारी की पहचान शुरू की। देर रात तक की गई कार्रवाई में 15 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया। पुलिस का कहना है कि गिरफ्तार लोगों की संख्या बढ़ सकती है, क्योंकि वीडियो की जांच अभी जारी है।
प्रारंभिक जांच में यह भी सामने आया है कि कुछ प्रदर्शनकारी प्रदूषण विरोधी आंदोलन के नाम पर वहां जुटे थे, लेकिन उनका असल मकसद माओवादी कमांडर के समर्थन में प्रचार करना था। यह संदेह भी जताया जा रहा है कि भीड़ में शामिल कुछ लोग किसी संगठन से जुड़े हो सकते हैं, हालांकि इस बारे में पुलिस ने अभी आधिकारिक पुष्टि नहीं की है।
इस मामले पर वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि इंडिया गेट जैसे संवेदनशील स्थान पर किसी भी तरह का चरमपंथी नारा स्वीकार नहीं किया जा सकता। पुलिस का कहना है कि देशविरोधी या चरमपंथी विचारों के प्रचार की इजाजत किसी भी परिस्थिति में नहीं दी जाएगी, चाहे वह किसी प्रदर्शन के दौरान ही क्यों न हो।

दिल्ली पुलिस ने संबंधित प्रदर्शनकारियों पर कई धाराओं में एफआईआर दर्ज की है, जिनमें सरकारी कार्य में बाधा डालना, पुलिस कर्मियों पर हमला, सार्वजनिक अव्यवस्था फैलाना और प्रतिबंधित सामग्री का उपयोग शामिल है। पेपर स्प्रे जैसी चीज का इस्तेमाल प्रदर्शन के दौरान करना गंभीर अपराध माना जाता है, और इस वजह से पुलिस इस मामले को बेहद गंभीरता से हैंडल कर रही है।
इंडिया गेट पर हुई इस घटना ने दिल्ली में सुरक्षा को लेकर नए सवाल खड़े कर दिए हैं। जिस स्थान पर पर्यटक, छात्र और परिवार बड़ी संख्या में आते हैं, वहां इस तरह का बवाल पुलिस की बड़ी चुनौती को दर्शाता है। फिलहाल पुलिस सभी गिरफ्तार लोगों से पूछताछ कर रही है और यह पता लगाया जा रहा है कि नारे लगाने वालों का मकसद क्या था और क्या इसके पीछे कोई बड़ा नेटवर्क जुड़ा है।








