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वो चार मौक़े भारत ने जब मालदीव की मदद की थी

ऐसा समय जब भारत ने मालदीव को संकट से बाहर निकाला था. भले ही  आज वो सब को मालदीव भूल चूका है लेकिन इतिहास के पन्ने जब जब दोहराए जायेंगे तब तब साफ़ साफ़ देखा जायेगा की ऐसे तो  कोई मौके थे जब भारत ने मालदीव की मदद की थी  लेकिन. ये चार मौके थे जिससे हर कोई जनता है और सभी को जानना भी चाहिए. आइये हम अपने इस लेख के माध्यम  से आपको  बतायेंगे.

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1- ‘ऑपरेशन कैक्टस’

1988 की एक घटना दोनों देशों के संबंधों में मील का एक पत्थर मानी जाती है. उस वक्त मालदीव में एक विद्रोह हुआ था, जिसे भारत की फ़ौज की मदद से नाकाम किया गया था. उस अभियान का नाम था – ‘ऑपरेशन कैक्टस’. 3 नवंबर, 1988 को मालदीव के राष्ट्रपति मौमून अब्दुल ग़यूम भारत यात्रा पर आने वाले थे. उनको लाने के लिए एक भारतीय विमान दिल्ली से माले के लिए उड़ान भर चुका था. अभी वो आधे रास्ते में ही था कि भारत के प्रधानमंत्री राजीव गांधी को अचानक एक चुनाव के सिलसिले में दिल्ली से बाहर जाना पड़ गया.

राजीव गांधी ने ग़यूम से बात कर ये तय किया कि वो फिर कभी भारत आएंगे. लेकिन ग़यूम के ख़िलाफ़ विद्रोह की योजना बनाने वाले मालदीव के व्यापारी अब्दुल्ला लुथूफ़ी और उनके साथी सिक्का अहमद इस्माइल मानिक ने तय किया कि बग़ावत को स्थगित नहीं किया जाएगा. उन्होंने श्रीलंका के चरमपंथी संगठन ‘प्लोट’ (पीपुल्स लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन ऑफ़ तमिल ईलम) के भाड़े के लड़ाकुओं को पर्यटकों के भेष में स्पीड बोट्स के ज़रिए पहले ही माले पहुंचा दिया था. देखते ही देखते राजधानी माले की सड़कों पर विद्रोह शुरू हो गया और सड़कों पर भाड़े के लड़ाकू गोलियां चलाते हुए घूमने लगे. इस मुश्किल वक्त में मालदीव के तत्कालीन राष्ट्रपति मौमून अब्दुल ग़यूम, एक सेफ हाउस में जा छिपे. राष्ट्रपति गयूम ने उन्हें और उनकी सरकार बचाने के लिए भारत से मदद मांगी.

2- तूफानी लहरों के बीच ‘ऑपरेशन सी वेव्स’

26 दिसंबर, साल 2004 का आखिरी रविवार. समाचार चैनलों पर एक छोटी सी खबर दिखाई दी कि चेन्नई में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं, लेकिन देखते ही देखते यह एक ऐसी त्रासदी में बदल गया, जिसकी किसी ने कल्पना नहीं की थी. दरअसल उस दिन समुद्र के अंदर भूकंप आया था, जिसकी तीव्रता शुरू में 6.8 नापी गई लेकिन बाद में इसकी तीव्रता का अनुमान 9.3 तक लगाया गया. इस भूकंप ने करीब 55 फीट ऊंची लहरों को पैदा किया, जिसने इंडोनेशिया, श्रीलंका, थाईलैंड, तंजानिया और मालदीव जैसे देशों के तटों को तबाह कर दिया. इस भूकंप के बाद आई सुनामी में जिन देशों में सबसे ज्यादा मौतें दर्ज की गईं, उनमें मालदीव भी एक था और इस मुश्किल समय में भारत मदद के लिए आगे आया और उसने ‘ऑपरेशन सी वेव्स’ चलाया. विदेश मंत्रालय के मुताबिक भारत का तटरक्षक डोर्नियर विमान और वायु सेना के दो एवरोस विमान राहत सामग्री लेकर 24 घंटे के अंदर यानी 27 दिसंबर को मालदीव पहुंचे.

राहत अभियान जारी रहे उसके लिए ये विमान मालदीव में ही रुके रहे. अगले दिन यानी 28 दिसंबर को 20 बिस्तरों वाले अस्पताल की सुविधाओं के साथ आईएनएस मैसूर और दो हेलीकॉप्टर मालदीव पहुंचे. मंत्रालय के मुताबिक इस राहत अभियान को अगले दिन आईएनएस उदयगिरि और आईएनएस आदित्य का साथ मिला और इन जहाजों ने मालदीव के सबसे अधिक प्रभावित इलाके दक्षिण एटोल में काम किया.

3- ‘ऑपरेशन नीर’ ने कैसे बुझाई मालदीव की प्यास

4 दिसंबर 2014 को मालदीव की राजधानी माले में सबसे बड़े वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में आग लग गई थी, जिसके बाद माले के करीब एक लाख लोगों के सामने पीने के पानी का संकट खड़ा हो गया था. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक मालदीव के पास अपनी स्थाई नदियां नहीं हैं, जहां से वह पानी ले पाए. वाटर ट्रीटमेंट प्लांट्स की मदद से ही वह पानी को पीने योग्य बनाता है और अपने नागरिकों तक पहुंचाता है. प्लांट के फिर से चालू होने तक पूरे शहर को हर रोज 100 टन पानी की जरूरत थी. इस मुश्किल वक्त में मालदीव की विदेश मंत्री दुन्या मौमून ने तत्कालीन भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को फोन किया और मदद मांगी. मालदीव के मदद के लिए भारत ने ‘ऑपरेशन नीर’ चलाया.

भारतीय वायुसेना ने तीन सी-17 और तीन आई एल-76 विमानों के जरिए पैक किया हुआ पानी दिल्ली से अराक्कोनम और फिर वहां से माले रवाना किया. संकट के बाद शुरुआती बारह घंटे में भारत के विमान पानी लेकर मालदीव पहुंच गए थे. इस दौरान वायु सेना ने 374 टन पानी माले पहुंचाया. इसके बाद भारतीय जहाज आईएनएस दीपक और आईएनएस शुकन्या की मदद से करीब 2 हजार टन पानी मालदीव पहुंचाया गया.

4- कोरोना में कैसे काम आया भारत

साल 2020, जब पूरी दुनिया कोविड-19 की चपेट में थी, उस वक्त भारत ने पड़ोसी प्रथम नीति के तहत बढ़-चढ़कर मालदीव की मदद की. मालदीव में भारतीय हाई कमीशन के मुताबिक भारत सरकार ने कोविड-19 की स्थिति से निपटने के लिए एक बड़ी मेडिकल टीम भेजी, जिसमें पल्मोनोलॉजिस्ट, एनेस्थेटिस्ट, चिकित्सक और लैब-तकनीशियन शामिल थे. 16 जनवरी, 2021 को पीएम मोदी ने देश में टीकाकरण अभियान की शुरुआत की.

इस अभियान के अगले 96 घंटों के अंदर भारत ने सबसे पहले मालदीव में वैक्सीन पहुंचाने का काम किया था. मालदीव वो पहला देश था, जहां भारत ने 20 जनवरी, 2021 को एक लाख कोविड वैक्सीन की खुराक गिफ्ट भेजीं. इन वैक्सीन की मदद से मालदीव की सरकार ने दुनिया के सबसे तेज टीकाकरण अभियानों में से एक की शुरुआत की और करीब पचास प्रतिशत आबादी को वैक्सीन लगाई.

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