भारत ने बुधवार को ओडिशा तट के चांदीपुर स्थित लक्षित परीक्षण रेंज से अपनी अग्नि-5 मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया। इस मिसाइल परीक्षण ने देश की सामरिक रक्षा क्षमताओं को और मज़बूत किया है। अधिकारियों ने बताया कि सामरिक बल कमान के तत्वावधान में किए गए इस परीक्षण में मिसाइल के सभी परिचालन और तकनीकी मानकों की पुष्टि की गई।

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अग्नि-5 भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित एक लंबी दूरी की, परमाणु-सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल है।यह अग्नि श्रृंखला की सबसे उन्नत मिसाइल है, जो सतह से सतह पर मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइलों का एक परिवार है और भारत की भूमि-आधारित परमाणु निवारक क्षमता की रीढ़ है।
यह मिसाइल आधुनिक नेविगेशन, गाइडेंस, वॉरहेड और इंजन तकनीकों से डिज़ाइन की गई है, जो इसकी रेंज और सटीकता को बढ़ाती हैं। अग्नि-5 मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टार्गेटेबल री-एंट्री व्हीकल (MIRV) तकनीक से लैस है। इससे एक ही मिसाइल कई परमाणु हथियार ले जा सकती है, जिनमें से प्रत्येक को एक अलग लक्ष्य पर निशाना बनाया जा सकता है, जिससे इसकी सामरिक प्रभावशीलता बढ़ जाती है।
हाल के वर्षों में, अग्नि-5 में महत्वपूर्ण उन्नयन हुए हैं, जिनमें बेहतर एवियोनिक्स, बेहतर री-एंट्री हीट शील्डिंग और परिचालन प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए उन्नत मार्गदर्शन प्रणालियाँ शामिल हैं। भारत एमआईआरवी (मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टार्गेटेबल री-एंट्री व्हीकल) क्षमता को शामिल करने पर भी काम कर रहा है, जिससे एक ही मिसाइल कई लक्ष्यों पर निशाना साधते हुए कई वारहेड ले जा सकेगी, जिससे इसकी प्रतिरोधक क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी।
20 अगस्त, 2025 को सामरिक बल कमान के तहत हुए सफल परीक्षण ने इन प्रगतियों की पुष्टि की और लंबी दूरी की मिसाइल प्रणालियों में भारत की बढ़ती तकनीकी आत्मनिर्भरता की पुष्टि की।








