सोशल संवाद / डेस्क : सिद्धार्थ प्रकाश, पत्रकार, सोशल संवाद: इस विशेष बातचीत में आपका स्वागत है। हमारे साथ हैं डॉ. अजय कुमार, पीएचडी, चेयरमैन, फॉक्स पेट्रोलियम ग्रुप। डॉ. कुमार वैश्विक अर्थव्यवस्था, भू-राजनीति और ऊर्जा बाजारों के गहरे जानकार हैं। वे अमेरिका की राजनीति और आर्थिक नीतियों को अच्छी तरह समझते हैं। वे मीडिया में कम ही नजर आते हैं, लेकिन उन्होंने भारत में रहते हुए तीसरी बार यह विशेष साक्षात्कार देने के लिए हामी भरी है। धन्यवाद, डॉ. कुमार। मेरा पहला सवाल—
टैरिफ युद्ध: यह कब रुकेगा?
सिद्धार्थ प्रकाश: डॉ. कुमार, आप इस लगातार बढ़ते टैरिफ युद्ध को कैसे देखते हैं और आपको क्या लगता है, यह कहां जाकर रुकेगा?
डॉ. अजय कुमार: “सिद्धार्थ, चलिए इसे साफ-साफ कहते हैं। यह टैरिफ युद्ध शतरंज के उस खेल जैसा है, जिसमें एक कबूतर बोर्ड पर बैठे-बैठे मोहरे गिरा देता है, गंदगी कर देता है और फिर सोचता है कि उसने जीत हासिल कर ली। मोदी सरकार को वैश्विक अर्थव्यवस्था की रणनीति समझने की जरूरत थी, लेकिन यह केवल कुछ खास उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने में लगी हुई है। बाइडेन अमेरिका के हितों को प्राथमिकता दे रहे हैं, और हमारी सरकार ‘मेक इन इंडिया’ की जगह ‘मेक-बिलीव इकॉनमी’ चला रही है। सच्चाई यह है कि भारत का विनिर्माण क्षेत्र संकट में है, निर्यात घट रहा है, और सरकार के पास कोई ठोस योजना नहीं है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि हम अब भी दिखावे की दुनिया में जी रहे हैं।”
सेंसेक्स का गिरना: निवेशकों के लिए खतरा
सिद्धार्थ प्रकाश: सेंसेक्स हर दिन गिर रहा है। निवेशकों, खासकर खुदरा निवेशकों के लिए आपकी क्या सलाह है?
डॉ. अजय कुमार: *”हमने एक इमारत बनाई, लेकिन समस्या यह है कि इसका तीसरा, चौथा और पांचवां फ्लोर गायब है। अब जब 22वें और 23वें फ्लोर गिर रहे हैं, तो लोग आश्चर्यचकित हो रहे हैं। जब आप संरचनात्मक मजबूती को नजरअंदाज करेंगे और सिर्फ चंद अरबपतियों का ध्यान रखेंगे, तो यही परिणाम होगा। बाजार भरोसे और बुनियादी सिद्धांतों पर चलता है, और फिलहाल दोनों गायब हैं।
मेरी सलाह निवेशकों के लिए यही है कि सतर्क रहें। सरकार की भावनात्मक बयानबाजी से प्रभावित होकर तात्कालिक ऊंचाइयों के झांसे में न आएं। बाजार की वास्तविकता यह है कि इसे कुछ लोगों के फायदे के लिए चलाया जा रहा है, और आम निवेशक केवल एक मोहरा है।”*
अर्थव्यवस्था और बाजार में गिरावट क्यों?
सिद्धार्थ प्रकाश: क्या आप स्पष्ट कर सकते हैं कि अर्थव्यवस्था और बाजार नीचे क्यों जा रहे हैं? इस स्थिति में आपकी क्या सलाह होगी?
डॉ. अजय कुमार: *”भारत सरकार गूंगी, बहरी और अंधी बनी हुई है। क्या आप किसी अंधे को रास्ता दिखा सकते हैं? नहीं। आप केवल इंतजार कर सकते हैं, देखते रह सकते हैं, और रोज भगवान राम की पूजा कर सकते हैं—बस वही बचा सकते हैं। प्रशासन को आर्थिक प्रबंधन का कोई ज्ञान नहीं है। यह ‘आत्मनिर्भर भारत’ के नाम पर एक प्रोटेक्शनिस्ट नीति चला रहे हैं, जिसमें केवल उनके चहेते ही सफल हो सकते हैं।
हमें जमीनी स्तर पर सुधार चाहिए, न कि केवल खोखले वादे। जब तक सरकार हकीकत से आंखें मूंदे रहेगी, तब तक यह गिरावट जारी रहेगी।”*
क्या GDP डेटा नकली है?
सिद्धार्थ प्रकाश: क्या आप कह रहे हैं कि जीडीपी डेटा फर्जी है? यदि हां, तो आपके अनुसार वास्तविक जीडीपी क्या होनी चाहिए और सबसे बुरी स्थिति क्या होगी?
डॉ. अजय कुमार: *”अगर आप सच में भारत की जीडीपी को आंकना चाहते हैं, तो साफ कहूं—सरकार जो आंकड़े दे रही है, वे पूरी तरह फर्जी हैं। इस पर कोई और टिप्पणी करने की जरूरत नहीं। देश पहले से ही मंदी में है, और सरकार इसे भावनात्मक नारों और सोशल मीडिया प्रचार से छिपाने में लगी हुई है।
सरकारी भाषण और भावनात्मक उत्तेजना से केवल कुछ महीने के लिए वास्तविकता को टाला जा सकता है, लेकिन लंबे समय तक नहीं। जब वास्तविकता सामने आएगी, तो परिणाम भयावह होंगे।”*
बाजार में सुधार की उम्मीद?
सिद्धार्थ प्रकाश: क्या आपको लगता है कि निकट भविष्य में बाजार में कोई सुधार होगा?
डॉ. अजय कुमार: “हां, लेकिन सरकार को मध्यम वर्ग और गरीबों का शोषण बंद करना होगा। वे हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। अभी जो स्थिति है, उसमें केवल वही लोग फायदे में हैं जो सरकार के करीबी हैं—1, 2, 3, 4, और 5। अगर आप उनकी ‘गुड बुक्स’ में हैं, तो आपके कर्ज माफ हो जाते हैं। लेकिन अगर आप एक आम व्यापारी या उद्योगपति हैं, तो आपको दबाया जाएगा। यह सोच कि केवल चंद लोग भारत को महान बना सकते हैं, एक झूठ है। वास्तविक सुधार तभी संभव होगा जब आर्थिक शक्ति कुछ लोगों के हाथों से निकलकर व्यापक समाज तक पहुंचे।”
क्या हालात और बिगड़ सकते हैं?
सिद्धार्थ प्रकाश: क्या आप मानते हैं कि स्थिति और खराब हो सकती है?
डॉ. अजय कुमार: *”अगर सरकार इसी राह पर चली, तो हम जल्द ही दिवालिया हो जाएंगे—बल्कि हम पहले से ही उस कगार पर हैं। भारत सरकार जिस प्रकार संरक्षणवाद अपना रही है, वह आर्थिक विकास के लिए खतरनाक है। नए व्यापारों को बढ़ने नहीं दिया जा रहा है, उद्योगों को जरूरत से ज्यादा रेगुलेट किया जा रहा है, और अंततः सफल कंपनियों को सरकार के पसंदीदा उद्योगपतियों को बेच दिया जाता है।
ट्रस्ट टूट चुका है। यही कारण है कि अमीर भारतीय विदेश जा रहे हैं। अब तो हालात यह हैं कि अगर आप स्वतंत्र रूप से व्यापार करना चाहते हैं, तो आपको सरकार के अंदरूनी ‘ग्रुप’ में होना पड़ेगा। सबसे बुरा यह है कि सरकार को खुद नहीं पता कि वह क्या कर रही है। चलिए, भगवान राम से प्रार्थना करते हैं कि उन्हें कुछ बुद्धि मिले।”*
सिद्धार्थ प्रकाश: धन्यवाद, डॉ. कुमार, आपकी बेबाक राय के लिए। हमेशा की तरह, आपसे बहुत कुछ सीखने को मिला।
डॉ. अजय कुमार: “सिद्धार्थ, खुशी हुई बातचीत करके। उम्मीद करते हैं कि हालात बेहतर हों, लेकिन खुद को सबसे बुरे के लिए तैयार रखना ही समझदारी होगी।”
