सोशल संवाद / डेस्क (रिपोर्ट: तमिश्री )-भारत में है एक ऐसा शिव भक्त भी है जो अदृश्य है। जी हा इस शिव भक्त को न तो कभी किसी न देखा है और न महसूस किया है लेकिन फिर भी हर रोज़ उस शिव भक्त के होने का प्रमाण हर दिन मिलते है।
भारत में चमत्कार और रहस्यमयी कई मंदिर है जिनका रहस्य कोई नहीं जानता ना ही कोई इन रहस्यों की जड़ तक पहुंच पाता है। कहा जाता है की इस तरह के सभी मंदिरों में चमत्कार के पीछे इश्वर की शक्ति होती है। वहीं एक ऐसा चमत्कारी व रहस्यमय मंदिर मध्यप्रदेश में भी है। जहां शिवलिंग की पूजा व अभिषेक अदृश्य शक्ति द्वारा किया जाता है। बिलकुल सही सुना आपने मुरैना की तहसील कैलारस से 25 कि.मी दूर पहाडग़ढ़ के घने जंगलों में स्थित ईश्वरा महादेव मंदिर पर अदृश्य शक्ति द्वारा पूजा की जाती है। पहाड़गढ़ के इस घने जंगल की कंदरा में स्थित प्राचीन शिविलंग का अपना विशेष महत्व है। मान्यता है कि मंदिर में चार बजे ब्रह्म मुहूर्त के समय कोई शक्ति स्वयं पूजा-अर्चना करने आती हैं। पुजारी द्वारा मंदिर के पट खोलने पर शिवलिंग 21 मुखी, 11 मुखी 7 मुखी बेलपत्रों, फूलों,और चावल से अभीषेक हुआ मिलता है। इस अद्भुत शिवलिंग पर साल के 365 दिन कुदरती तौर पर पानी की बूंदें टपकती रहती हैं।
प्राकृतिक सौन्दर्य के बीच बसे ईश्वरा महादेव का रहस्य वर्षों बाद भी नहीं सुलझ सका है। इस इश्वरी शक्ति को जानने के लिए कई प्रयास किए गए लेकिन बार-बार रहस्य जानने की ये कोशिश विफल होती जा रही है। पहाडग़ढ़ के जंगलों में पहाड़ों के बीच बारिश के मौसम में यहां प्राकृतिक छटा देखने लायक होती है। इसलिए यह धार्मिक स्थल के साथ अच्छा पिकनिक स्पॉट भी है। ग्रामीण बताते हैं की यहाँ सिद्ध बाबा ने इन पहाड़ों के बीच शिवलिंग स्थापित कर तपस्या की थी। तभी से शिवलिंग के शीर्ष पर प्राकृतिक झरना अविरल जलाभिषेक कर रहा है। यहां पुजारी ब्रह्म मुहूर्त में मंदिर के पट खोलते हैं, लेकिन तब तक कोई शिवलिंग का अभिषेक कर चुका होता है। लोगों का कहना है की इस मंदिर के गर्व गृह में रहस्यमयी पूजा को जानने के लिए किसी ने शिवलिंग के ऊपर हाथ रख लिया था लेकिन तभी अचानक तेज आंधी चली और फिर कुछ देर के लिए हाथ हटाया और अदृश्य भक्त शिव का पूजन कर गई, लेकिन जिस व्यक्ति ने शिवलिंग पर हाथ रखा था वो कोढ़ी हो गया।
पहाडग़ढ़ रियासत के राजा पंचम सिंह भी कर चुके हैं। उन्होंने रात में हो जाने वाली पूजा का रहस्य जानने के लिए अपनी सेना को मंदिर के इर्द-गिर्द लगा दिया था। चौकसी में लगी सेना सुबह चार बजे से पहले अचेतन अवस्था में चली गई। जब आंख खुली तो वहां पूजा-अर्चना हो चुकी थी।
कई बार संत महात्माओं द्वारा भी इस रहस्य को जनने की कोशिश की गई लेकिन इसके बावजूद पूजा का समय होते ही साधुओं की झपकी लग गई और पलभर में कोई ईश्वरा महादेव शिवलिंग का अभिषेक कर गई। जब संतों की आंखे खुली तब शिवलिंग की पूजा हुई नज़र आई। लोगों का कहना है की शिवलिंग की स्थापना रावण के भाई विभीषण द्वारा की गई थी और उन्हें सप्त चिरंजीवियों में से एक माना गया है। इसलिए राजा विभीषण ही यहां पूजा करने आते हैं। बताया जाता है की यहां ईश्वरा महादेव मंदिर के आसपास अनोखे बेलपत्र के पेड़ हैं। सामान्य तौर पर बेल की पत्तियां तीन-तीन के समूह में होती है, लेकिन यहां पांच, सात तक हैं। बताया तो यह भी जाता है कि कई बार शिवलिंग पर २१ के समूह वाली बेल पत्तियां भी देखी गई हैं।
पुरातत्व अधिकारियों के अनुसार शिवलिंग के आसपास महाभारत काल के अवशेष मिले हैं।सावन के दिनों में ईश्वरा महादेव मंदिर के दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचते है। शहर से दूर प्राचीन मंदिर तक पहुंचने का मार्ग बहुत कठिन है ।हालांकि कठिनाइयों को पार करते हुए श्रद्धालु यहां पहुंच ही जाते हैं।