सोशल संवाद / जमशेदपुर : माननीय झारखंड उच्च न्यायालय के माननीय न्यायाधीश अंबुज नाथ की खंडपीठ ने जमशेदपुर के कंपनी सचिव रमेश सिंह के बेल पिटीशन संख्या 9645/25 पर सुनवाई करने के बाद रमेश सिंह को कथित संगठित अपराध, अमानत में खयानत, धोखाधड़ी और जालसाजी मामले में जमानत दे दी!
यह भी पढ़े : सोना देवी विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ फार्मेसी द्वारा राष्ट्रीय फार्मेसी सप्ताह का किया गया आयोजन
ज्ञातव्य है कि मानस मिश्रा नाम के एक व्यक्ति ने कंपनी सचिव रमेश सिंह के खिलाफ जमशेदपुर पुलिस के पास एक शिकायत दर्ज करवाई थी कि रमेश सिंह उनके और उनके गैंग के वी एन सिंह, रजत सिंह, भूषण सिंह, विष्णु दीक्षित आदि के खिलाफ टाटा मोटर्स की एथिक्स कमिटी को फर्जी मेल भेज कर उनलोगों की तथाकथित छवि को खराब कर रहे थे!
जमशेदपुर पुलिस ने आपराधिक मानहानि का मामला दर्ज करने बजाय रमेश सिंह के खिलाफ संगठित अपराध, अमानत में खयानत और जालसाजी जैसे संगीन धाराएं लगाई और भारतीय न्याय संहिता की धारा 111(4), 316(2), 338, 336(3), 336(4), 340(2), 318(4), 319(2), और सूचना प्रौधोगिकी संसोधन अधिनियम, 2008 की धाराओं 66(c) और 66(d) के तहत गिरफ्तार कर 9 सितंबर, 2025 को जेल भेज दिया!
ज्ञातव्य है कि गिरफ्तारी के समय रमेश सिंह या उनके परिवार को लिखित में गिरफ्तारी की वजह नहीं बताई थी! माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि पुलिस अगर लिखित में गिरफ्तारी की वजह नहीं बताती है तब उस गिरफ्तारी को अवैध माना जायेगा और मैजिस्ट्रेट को गिरफ्तार व्यक्ति को तुरंत रिहा करना पड़ेगा। पर जमशेदपुर व्यवहार न्यायालय के जज कंकन पट्टेदार ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन होने के बावजूद रमेश सिंह को बिना कोई कारण बताए जेल भेज दिया था!
ज्ञातव्य है कि पुलिस ने संगठित अपराध, जालसाजी और अमानत में खयानत जैसे आरोप रमेश सिंह को बिना वारंट के गिरफ्तार करने के लिए लगाई थी जबकि संगठित अपराध जैसी धारा लगाने के लिए आरोपी का दस साल का आपराधिक रिकार्ड रहना जरूरी है और आरोपी के खिलाफ कम से कम दो गंभीर आपराधिक मामलों में कोर्ट का संज्ञान जरूरी है पर कंकन पट्टेदार की अदालत सर्वोच्च न्यायालय के गाइडलाइंस के अलावे कानूनों की भी अनदेखी की!
20 और 24 सितंबर को बेल की सुनवाई के दौरान रमेश सिंह के अधिवक्ताओं ने माननीय जज कंकन पट्टेदार को यह बताया कि रमेश सिंह ने वे अपराध हुए ही नहीं है और रमेश सिंह को अपमानित करने के लिए उनको पुलिस ने हथकड़ी भी लगाई पर माननीय कंकन पट्टेदार की अदालत ने बिना कोई कारण बताए रमेश सिंह का बेल पिटीशन रद्द कर दिया!
माननीय उच्च न्यायालय ने आज कहा कि आरोपी 74 दिनों से जेल में है और उसका कोई पिछला आपराधिक रिकार्ड नहीं है और जो मेल भेजे गये हैं उससे ऐसा लगता है कि उन्होंने मानस मिश्रा आदि लोगों से पैसे की मांग की हो पर पुलिस ऐसा कोई आरोप साबित नहीं कर सकी है अतः आरोपी बेल का हकदार है! रमेश सिंह की तरफ से मामले की पैरवी अखिलेश श्रीवास्तव, रोहित सिंहा, नेहा अग्रवाल, एम आई हसन और स्वागतिका दास आदि अधिवक्ताओं ने की!








