सोशल संवाद/रांची/Jharkhand High Court: झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा यूट्यूब चैनलों और न्यूज पोर्टलों के पीआरडी (जनसंपर्क विभाग) में अनिवार्य पंजीकरण के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार को नया जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। अदालत ने सरकार के पहले से दाखिल जवाब को असंतोषजनक बताया।

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सोमवार को झारखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति राजेश शंकर की खंडपीठ ने तीर्थनाथ आकाश की याचिका पर सुनवाई की। याचिकाकर्ता ने राज्य सरकार के उस निर्देश को चुनौती दी है जिसमें सभी डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म्स विशेष रूप से यूट्यूब चैनल और न्यूज पोर्टल को पीआरडी विभाग में पंजीकरण अनिवार्य करने को कहा गया है।
राज्य सरकार ने अपने दाखिल जवाब में तर्क दिया कि कई यूट्यूब चैनल और न्यूज पोर्टल भ्रामक समाचार प्रसारित करते हैं, जिससे जनता में भ्रम की स्थिति बनती है। सरकार का कहना है कि अगर इन चैनलों और पोर्टलों को पीआरडी में पंजीकृत किया जाए, तो उनके संचालन और ज़िम्मेदार व्यक्तियों की पहचान स्पष्ट रहेगी, जिससे गलत जानकारी फैलाने पर जवाबदेही तय की जा सकेगी।
हालांकि, अदालत ने सरकार के इस जवाब को असंतोषजनक मानते हुए नया और विस्तृत जवाब दाखिल करने को कहा है। अदालत ने साफ किया कि यह मामला अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से जुड़ा है, और इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता। प्रार्थी के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि वर्ष 2023 में राज्य सरकार की स्पेशल ब्रांच ने सभी जिलों के उपायुक्तों (DC) और पुलिस अधीक्षकों (SP) को पत्र लिखकर बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहे यूट्यूब चैनलों और न्यूज पोर्टलों








