सोशल संवाद/ डेस्क: झारखंड सरकार ने राज्य में देश की पहली खनन पर्यटन परियोजना शुरू कर दी है इसे लेकर CCL के साथ MOU भी हुआ। यह समझौता कोल इंडिया की शाखा ‘सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड’ (सीसीएल) के साथ एक समझौता किया है। सोरेन ने हाल में बार्सिलोना के ‘गावा म्यूजियम ऑफ माइन्स’ का दौरा किया था, जहां उन्होंने नवपाषाण युग की प्राचीन खनन तकनीकों और अवशेषों को देखा था।
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इसके बाद ही उन्होंने राज्य में खनन पर्यटन परियोजना को लेकर यह कदम उठाया। झारखंड खनिज संपन्न राज्य है और देश के कुल खनिजों का लगभग 40 प्रतिशत यहीं पाया जाता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड पर्यटन विकास निगम ने खनन पर्यटन परियोजना के लिए सीसीएल के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
इस संबंध में एक अधिकारी ने बताया कि इस परियोजना का उद्देश्य झारखंड की समृद्ध खनन विरासत को एक आकर्षक पर्यटन अनुभव में बदलना है। राज्य के पर्यटन मंत्री सुदिव्य कुमार की उपस्थिति में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
कुमार ने कहा कि झारखंड एक खनन राज्य के रूप में पहचाना जाता है. हमने सीसीएल के साथ मिलकर राज्य में खनन पर्यटन की दिशा में पहला कदम उठाया है। अब खनन क्षेत्र पर्यटकों, आम लोगों और शैक्षिक समूहों के लिए खुला है. उन्होंने कहा कि सरकार ‘भारत कोकिंग कोल लिमिटेड’ के साथ मिलकर खनन पर्यटन में एक और सर्किट विकसित करने पर भी काम करेगी।
सीसीएल के अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक नीलेन्दु कुमार सिंह ने कहा कि वे इस परियोजना के खातिर खनन कंपनी को अवसर देने के लिए राज्य सरकार के प्रति आभार व्यक्त करते हैं।
उन्होंने कहा कि मंत्री और उनकी टीम के साथ तीन दौर की बैठकों के बाद आज समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हो गए हैं. हम भविष्य में खनन पर्यटन सर्किट के लिए और खदानें खोलेंगे।