सोशल संवाद/ डेस्क : झारखंड की बंद पड़ी कोयला खदानों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जायेगा। झारखंड अपनी खनिज संपदा और खनन क्षेत्र की ऐतिहासिक विरासत को पर्यटन के रूप में विकसित करने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। झारखंड देश का ऐसा पहला राज्य बनने जा रहा है, जहां ‘माइनिंग टूरिज्म परियोजना’ की औपचारिक शुरुआत की जाएगी।
जल्द ही रांची स्थित प्रोजेक्ट भवन सभागार में झारखंड पर्यटन विकास निगम (JTDCL) और सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (CCL) के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। कार्यक्रम में पर्यटन मंत्री सुदिव्य कुमार की विशेष उपस्थिति रहेगी। इस अवसर पर पर्यटन, खनन और सरकारी विभागों के कई वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहेंगे। इस माइनिंग टूरिज्म परियोजना के तहत पर्यटकों को कोयला खदानों, खनन से जुड़ी प्रक्रियाओं, उपकरणों और खनन से जुड़ी ऐतिहासिक विशेषताओं का प्रत्यक्ष अनुभव करने का मौका मिलेगा।
इस दौरान पर्यटक खनन क्षेत्रों में जाकर वहां के भूगोल, खनन की तकनीकों और उसके ऐतिहासिक पहलुओं को भी देख और समझ सकेंगे। परियोजना के तहत तीन सर्किट बनाए जा रहे हैं, जिनमें पर्यटकों को रांची से ले जाकर खनन क्षेत्रों और आस-पास के दर्शनीय स्थलों का भ्रमण कराकर वापस रांची लाया जाएगा। इन सर्किट में पिपरवार का कायाकल्प वाटिका, रे अंडरग्राउंड माइंस, तिरू फॉल, नॉर्थ उरीमारी माइंस, पलानी फॉल्स, पतरातू वाटर पार्क, सिकिदिरी घाटी, रजरप्पा मंदिर, भुरकुंडा माइंस, पतरातू डैम और पतरातू घाटी जैसे स्थल शामिल होंगे।