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केरल हाईकोर्ट बोला- मुआवजे से EMI काटने वाले संवेदनहीन:वायनाड लैंडस्लाइड इंसानी लालच पर प्रकृति के बदले का एक उदाहरण

By Tamishree Mukherjee

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सोशल संवाद /डेस्क : केरल हाईकोर्ट ने वायनाड लैंडस्लाइड के पीड़ितों को मिली मुआवजे की राशि से बैंकों की EMI काटने पर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने शुक्रवार (23 अगस्त) को कहा कि लोगों में संवेदना खत्म हो चुकी है। हम घटना के मानवीय पहलू से चूक रहे हैं। त्रासदी के पहले हफ्ते में सब रोते हैं। फिर अगले हफ्ते ऐसी हरकतें करते हैं।

हाईकोर्ट ने लैंडस्लाइड की घटना पर सरकार को भी फटकार लगाई। जस्टिस एके जयशंकरन नांबियार और जस्टिस श्याम कुमार वीएम की बेंच ने कहा कि वायनाड लैंडस्लाइड इंसानों की उदासीनता और लालच पर प्रकृति की प्रतिक्रिया का एक और उदाहरण है।

कोर्ट ने कहा कि त्रासदी के संकेत बहुत पहले दिखाई दिए थे, लेकिन विकास के एजेंडे के लिए उन्हें नजरअंदाज किया गया। 2018 और 2019 में प्राकृतिक आपदाएं, लगभग दो सालों तक चली कोरोना महामारी और हालिया लैंडस्लाइड ने हमें विकास के तरीकों में हमारी गलती दिखाई है।

मुआवजे के पैसों से EMI काटने का मामला समझिए

केरल के वायनाड में 29 जुलाई की रात लैंडस्लाइड हुई थी। इसमें 400 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। अब भी 138 से ज्यादा लोग लापता हैं। केरल सरकार ने लैंडस्लाइड प्रभावित लोगों को फौरी राहत के तौर पर 10-10 हजार रुपए बैंक अकाउंट में डाले थे।

लोगों का आरोप है कि केरल ग्रामीण बैंक उनके अकाउंट से लोन की EMI काट रहा है। कुछ दिन पहले कलपेट्टा में लोगों और राजनीतिक दलों ने बैंक के सामने प्रदर्शन भी किया था। बैंक अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों को लिखित में कहा कि वे अब और लोन की EMI नहीं काटेंगे।

इस बीच हाईकोर्ट ने लैंडस्लाइड पीड़ितों के राहत उपायों की निगरानी के लिए त्रासदी पर खुद संज्ञान लिया। 23 अगस्त को इसी मामले पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि कितने लोगों के साथ ऐसा हुआ है। अगर ऐसा हो रहा है तो हम मामले में दखल देंगे।

सरकार की नीतियों की निगरानी करेगा कोर्ट

हाईकोर्ट ने कहा कि अदालत प्राकृतिक संसाधनों के दोहन, पर्यावरण, वनों और वन्यजीवों के संरक्षण, प्राकृतिक आपदाओं की रोकथाम और उनके मैनेजमेंट के लिए राज्य सरकार की मौजूदा नीतियों का जायजा भी लेगी। कोर्ट ने इसके लिए तीन स्टेज तय किए हैं।

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