सोशल संवाद/डेस्क/Kerala High Court: केरल हाईकोर्ट ने कहा कि वह किसी ऐसे मुस्लिम व्यक्ति की एक से ज्यादा शादियों को मंजूर नहीं कर सकता, जिसके पास पत्नियों का भरण-पोषण करने की काबिलियत ही नहीं है। कोर्ट एक मुस्लिम भिखारी की दूसरी पत्नी की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसने पति से 10 हजार गुजारा भत्ता मांगा था।

यह भी पढ़ें: TATA STEEL UISL ने बढ़ाया बोनस, 671 कर्मचारियों को 6.67 करोड़ का वार्षिक भुगतान मिलेगा
मामला पेरिंथलमन्ना का था, जिसमें 39 साल की महिला अपने अंधे पति के खिलाफ कोर्ट पहुंची थी। इससे पहले वह फैमिली कोर्ट भी गई, लेकिन कोर्ट ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी थी कि उसके भिखारी पति को भरण-पोषण देने का निर्देश नहीं दिया जा सकता।
हालांकि कोर्ट ने कहा कि भिखारी ने मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत दो शादियां की हैं। इसलिए राज्य सरकार इसमें दखल दे और उसकी दोनों पत्नियों की मदद करे। कोर्ट ने महिला की याचिका खारिज कर दी और ऑर्डर कॉपी समाज कल्याण विभाग को भेजे जाने का आदेश दिया है।
Kerala High Court के जस्टिस कुन्हींकृष्णन के कमेंट
मुस्लिम समुदाय में बहुविवाह की शिकार निराश्रित पत्नियों की रक्षा करना राज्य का कर्तव्य है। लोकतांत्रिक देश की सरकार का यह फर्ज है कि वह सुनिश्चित करे कि उसके नागरिक भीख न मांगें। किसी को दूसरों के भीख के कटोरे में हाथ नहीं डालना चाहिए। यानी जो व्यक्ति भिक्षा पर जिंदा रहता है, उसे दूसरों का भरण-पोषण करने के लिए बाध्य करना सही नहीं होगा।
ऐसी शादियां मुस्लिम समुदाय में शिक्षा और प्रथागत कानून के ज्ञान की कमी के कारण होती हैं। अदालत भी किसी मुस्लिम व्यक्ति की पहली, दूसरी या तीसरी शादी को आसानी से मान्यता नहीं दे सकती।
यह गलत धारणा है कि एक मुस्लिम पुरुष यदि चाहे तो हर हाल में एक से ज्यादा शादियां कर सकता है। कुरान की आयतों की भावना और उद्देश्य एक विवाह है, तथा बहुविवाह केवल अपवाद है।
Kerala High Court में पत्नी का दावा- अंधा पति भीख से 25 हजार कमाता है
महिला ने अपनी याचिका में दावा किया कि उसका 46 साल का अंधा पति भीख मांगने और कई दूसरे जरियों से 25,000 रुपए कमाता है। इसलिए उसे 10,000 रुपए हर महीने गुजारा भत्ता दिया जाए। महिला ने यह भी कहा कि वह इस समय अपनी पहली पत्नी के साथ रह रहा है। महिला ने कोर्ट को बताया कि वह उसे धमकी दे रहा है कि वह जल्द ही किसी दूसरी महिला से तीसरी शादी कर लेगा।








