सोशल संवाद/डेस्क: एनीमिया एक गंभीर बीमारी है, जो की ब्लड में रेड सेल्स या हिमोग्लोबिन और आयरन की कमी होने के कारण हो सकता है. एनीमिया न केवल महिलाओं को होता है, साथ ही छोटे बच्चों को भी प्रभावित करता है.
खासकर समय से पहले जन्मे बच्चे या जो जन्म के बाद बहुत कमजोर होते हैं. भारत में 5 वर्ष से कम उम्र के 67% से अधिक बच्चे एनीमिया से पीड़ित हैं. यह बीमारी न सिर्फ इम्यून सिस्टम को कमजोर करती है, बल्कि सोचने, समझने और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता पर भी असर डालती है. आज के लेख में हम बच्चों में एनीमिया के कारण, लक्षण और बचाव के तरीकों के बारे में अधिक जानेंगे.
आइए जानते है बच्चों में एनीमिया के लक्षण
एनीमिया के लक्षण कई बार लंबे समय तक नजर ही नहीं आते, इस वजह से कई बार ये समस्या बहुत ज्यादा बढ़ जाती है.
– बच्चों में थकान और कमजोरी एनीमिया के सबसे आम लक्षण होते हैं.
– एनीमिया की कमी के चलते रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने लगती है, जिससे बच्चे बार-बार बीमार होते रहते हैं.
– एनीमिया के चलते बच्चों में बेचैनी और चिड़चिड़ापन भी देखने को मिलता है.
– थोड़ी-बहुत एक्टिविटी करने पर उनकी सांस फूलने लगती है.
– चेहरे और त्वचा का रंग पीला और सफेद होना.
बच्चों में एनीमिया की वजहें
खून में जरूरी मात्रा में लाल रक्त कोशिकाओं या हीमोग्लोबिन की कमी से एनीमिया होता है, लेकिन और भी कई वजहें इसके लिए जिम्मेदार हो सकते हैं.
पर्याप्त मात्रा में फोलिक एसिड, विटामिन बी 12 या विटामिन सी की कमी के चलते रेड ब्लड सेल्स नहीं बन पाते. प्री-मेच्योर और कम-जन्म वजन वाले शिशुओं में भी एनीमिया का खतरा बढ़ जाता है.
एनीमिया का इलाज
बच्चों में एनीमिया से निपटने में मददगार हो सकते हैं ये उपाय
– बच्चों में आयरन की कमी न होने दें. लेकिन इसके ओवरडोज़िंग से भी बचें.
– हरी सब्जियों, शरीफा, दाल, मेवे व बिज,अंडे, नॉन वेजिटेरियन फूड्स में आयरन की अच्छी-खासी मात्रा होती है, तो बच्चों की डाइट में इन चीज़ों को शामिल करें. इससे शरीर में रेड ब्लड सेल्स बढ़ते हैं.
– विटामिन सी से भरपूर नींबू, संतरा, कीनू, सीताफल, टमाटर और स्ट्रॉबेरीज को भी डाइट का हिस्सा बनाएं. इससे शरीर आयरन को बेहतर तरीके से एब्जॉर्ब कर पाता है.
स्क्रीनिंग के जरिए हाई-रिस्क बच्चों में एनीमिया का समय से पता लगाया जा सकता है.