सोशल संवाद डेस्क : गुरूवार का दिन शिरडी के साईं बाबा का दिन माना जाता है। लेकिन क्यों उनका व्रत और पूजा गुरूवार को ही किये जातें हैं? आइये जानते है । हर साल लाखों लोग साईं बाबा का व्रत रखते हैं। साईं बाबा का व्रत गुरुवार पर रखने के पीछे एक कहानी है।
किसी शहर में ‘कोकिलाबेन’ और उनके पति ‘महेशभाई’ रहते थे। महेशभाई झगड़ालू स्वभाव के थे और कोकिलाबेन काफी भावुक थी। महेश भाई के झगड़ालू स्वभाव के कारण उनके सारे पडोसी भी उनसे परेशान थे। लेकिन कोकिलाबेन, महेशभाई को हमेशा संभाल लेती थी। महेशभाई के झगड़ालू और चिड़चिड़े स्वभाव से उनका व्यवसाय-कामकाज धीरे-धीरे ठप्प हो गया जिसकी वजह से वह दिन भर घर पर रहने लगे। इससे वह और भी ज़्यादा चिड़चिड़े हो गए।
एक दोपहर जब कोकिलाबेन ‘अब क्या करें?’ इस चिंता में थी तब उनके दरवाजे पर एक वृद्ध महाराज आये। उनकी कान्ति चमकदार थी और उनकी आँखों में अनोखा तेज था। उन्होंने भिक्षा के रूप में दाल-चावल की मांग की। कोकिलाबेन ने दाल-चावल झोली में डाले और महाराज को आदरभाव से नमस्कार किया। महाराज आशीर्वाद देते हुए बोले, ‘साईं सुखी रखेगा’। यह सुनकर कोकिलाबेन ने तुरंत अपने जीवन का वर्णन करते हुए महाराज से कहा कि मेरी किस्मत में सुख नहीं लिखा है।
इसपर उपाय बताते हुए उन वृद्ध महाराज ने कोकिलाबेन को साईं व्रत के बारे में बताया। वह बोले “9 गुरुवार सिर्फ़ एक समय भोजन या फलाहार करना, संभव हो तो साईं मंदिर जाना, हर गुरुवार को साईं बाबा की पूजा करना और व्रत का उद्यापन करने के लिए भूखे को भोजन खिलाना। साईं तेरे सारे दुःख दूर करेंगे, बस बाबा की असीम भक्ति करनी चाहिए।”
महाराज के कहने पर कोकिलाबेन ने 9 गुरुवार तक साईं बाबा का कड़ा व्रत रखा, पूरी निष्ठा से उनकी अर्चना की और उद्यापन के दिन गरीबों को भोजन करवाया। धीरे-धीरे महेशभाई के स्वभाव में भी बदलाव आया। उनका रोजगार फिर से चालू हो गया और घर में सुख-शांति आ गयी।
ये सब के बाद कोकिलाबेन ने मन ही मन यह मान लिया कि साईं बाबा की महिमा अपार है।