सोशल संवाद/डेस्क: Ladakh को राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर चल रहा आंदोलन बुधवार को हिंसक हो गया। इस झड़प में चार लोगों की जान चली गई, जबकि 70 लोग घायल हुए हैं, जिनमें 30 पुलिस और सीआरपीएफ जवान भी शामिल हैं।
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उपद्रवियों ने भाजपा कार्यालय और लेह स्वायत्त विकास परिषद के दफ्तर में तोड़फोड़ कर आग लगा दी। करीब एक दर्जन वाहन भी क्षतिग्रस्त कर दिए गए। हालात बिगड़ने पर पुलिस को लाठीचार्ज, आंसू गैस और कथित तौर पर फायरिंग करनी पड़ी। पूरे जिले में कर्फ्यू लागू कर दिया गया है।


सोनम वांगचुक पर Ladakh में हिंसा भड़काने का आरोप
हिंसा के बाद पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने भूख-हड़ताल समाप्त करने की घोषणा कर दी। हालांकि गृह मंत्रालय ने उन्हें हिंसा भड़काने का जिम्मेदार ठहराया और कहा कि उनके भड़काऊ बयानों से भीड़ उकसी। वहीं, कांग्रेस नेता फुंतसोग स्टैंजिन सेपाग के खिलाफ भी उपद्रव भड़काने का मामला दर्ज किया गया है। प्रशासन ने दो दिवसीय लद्दाख वार्षिकोत्सव को रद्द कर दिया है।


Ladakh में क्यों उठ रही है छठी अनुसूची की मांग
लद्दाख को 31 अक्टूबर 2019 को जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के तहत केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा मिला था। अब यहां के लोग पूर्ण राज्य का दर्जा, छठी अनुसूची के तहत विशेष अधिकार, अलग लोक सेवा आयोग और लोकसभा में दो सीटों की मांग कर रहे हैं। लेह एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक एलायंस इस आंदोलन की अगुवाई कर रहे हैं। छठी अनुसूची फिलहाल असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम के जनजातीय क्षेत्रों में लागू है, जिसके तहत भूमि, रोजगार और स्थानीय प्रशासन पर विशेष अधिकार मिलते हैं। लद्दाखी जनता भी यही सुरक्षा चाहती है।








