सोशल संवाद / नई दिल्ली : दिल्ली को जलभराव, जल संकट और पर्यावरणीय असंतुलन से निजात दिलाने की दिशा में आज दो महत्वपूर्ण और प्रभावशाली प्रयास ज़मीन पर उतरे। उपराज्यपाल विनय सक्सेना और दिल्ली सरकार में लोक निर्माण एवं जल मंत्री प्रवेश साहिब सिंह वर्मा ने आज संयुक्त रूप से राजधानी के दो प्रमुख स्थलों — ITO चौराहा और सद्भावना पार्क — का निरीक्षण किया।
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ITO: वर्षों की समस्या का स्थायी समाधान
निरीक्षण की शुरुआत उस स्थान से हुई, जो वर्षों से मानसून के दौरान दिल्ली की सबसे बड़ी परेशानी बन चुका था — ITO चौराहा। हल्की बारिश में भी यहां जलभराव के कारण ट्रैफिक जाम आम बात थी, जिससे लाखों दिल्लीवासियों को रोज़ाना दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। इस बार PWD ने इस चुनौती को गंभीरता से लेते हुए व्यापक स्तर पर तकनीकी सुधार किए हैं। इलाके के नालों को फिर से डिज़ाइन किया गया, कई जगहों पर नई ड्रेनेज लाइनें बिछाई गईं, और जलनिकासी की पूरी प्रणाली को आधुनिक पंपों और सेंसर-आधारित नियंत्रण व्यवस्था से सुसज्जित किया गया।

मंत्री प्रवेश वर्मा ने कहा:
“ITO अब जलभराव का प्रतीक नहीं, समाधान का मॉडल बनेगा। मैं अपने विभाग के अधिकारियों और इंजीनियरों को बधाई देता हूं जिन्होंने दिन-रात मेहनत करके यह बदलाव ज़मीन पर उतारा।” उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार का उद्देश्य उन तमाम ‘जलभराव हॉटस्पॉट्स’ को चिन्हित कर स्थायी समाधान देना है, जो वर्षों से अनदेखे पड़े थे।
सद्भावना पार्क: विकास और पर्यावरण का संगम
इसके बाद उपराज्यपाल और मंत्री ने पूर्वी दिल्ली में DDA द्वारा विकसित सद्भावना पार्क का निरीक्षण किया। यह पार्क आज राजधानी में पर्यावरण-संवेदनशील शहरी विकास का बेहतरीन उदाहरण बनकर उभरा है। इस पार्क की सबसे खास बात यह है कि इसके नीचे एक अत्याधुनिक Sewage Treatment Plant (STP) बनाया गया है, जिसमें आसपास के इलाके से आने वाले गंदे पानी को शुद्ध कर उसी का उपयोग पार्क की सिंचाई और रख-रखाव में किया जा रहा है।

उपराज्यपाल विनय सक्सेना जी ने कहा:
“सद्भावना पार्क दिल्ली के भविष्य की झलक है — जहां विकास और पर्यावरण साथ-साथ चलते हैं। STP के ज़रिए न सिर्फ जलशोधन हो रहा है, बल्कि हर दिन हज़ारों लीटर पीने योग्य पानी की बचत भी सुनिश्चित हो रही है। यह मॉडल पूरी दिल्ली के लिए प्रेरणादायक है और हम इसे अन्य स्थानों पर भी दोहराना चाहते हैं।” उन्होंने DDA को बधाई देते हुए कहा कि ऐसे प्रयास राजधानी को स्वच्छ, टिकाऊ और हरित बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होंगे।