सोशल संवाद/ डेस्क : दिल्ली शराब नीति केस में गुरुवार को अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखने से पहले केजरीवाल और CBI का पक्ष सुना।
अदालत में वकील ने कहा कि केजरीवाल को इसलिए जमानत दी गई ताकि वो बाहर ना आ सकें जबकि जमानत नियम और जेल अपवाद है। मनीष सिसोदिया को जमानत देते वक्त कोर्ट ने यही कहा था। CBI ने दलील दी कि केजरीवाल को जमानत के लिए पहले ट्रायल कोर्ट जाना चाहिए, सीधे सुप्रीम कोर्ट नहीं आना चाहिए। अगर उन्हें जमानत मिली तो हाईकोर्ट को निराशा होगी।
केजरीवाल की जमानत और CBI की गिरफ्तारी के खिलाफ याचिका पर जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जवल की भुइयां की बेंच सुनवाई कर रही है। केजरीवाल का पक्ष वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी और CBI को एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) एसवी राजू रिप्रेजेंट कर रहे हैं।
केजरीवाल को शराब नीति से जुड़े ED केस में सुप्रीम कोर्ट से ही 12 जुलाई को जमानत मिल चुकी है। इस केस में आम आदमी पार्टी (AAP) पार्टी नेता संजय सिंह, दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और भारत राष्ट्र समिति (BRS) लीडर के कविता को जमानत दी जा चुकी है।
1. यह अनोखा मामला है। PMLA के सख्त नियमों के बावजूद केजरीवाल को 2 बार जमानत दे दी गई। CBI केस में जमानत क्यों नहीं मिल सकती है।
2. CBI ने दलील दी है कि केजरीवाल सहयोग नहीं कर रहे हैं। कोर्ट के ही आदेश में कहा गया है कि यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि आरोपी खुद को दोषी बता दे।
3. अदालत को सिर्फ 3 सवालों पर ध्यान देना है। पहला- क्या केजरीवाल के भाग जाने का खतरा है? दूसरा- क्या वे सबूतों से छेड़छाड़ कर सकते हैं? तीसरा- क्या केजरीवाल गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं?
4. केजरीवाल एक संवैधानिक पद पर हैं, उनके भागने की कोई आशंका नहीं, सबूतों से छेड़छाड़ नहीं हो सकती, क्योंकि लाखों दस्तावेज और 5 चार्जशीट मौजूद हैं। गवाहों को प्रभावित करने का खतरा भी नहीं है। बेल की 3 जरूरी शर्तें हमारे पक्ष में हैं।
5. मुझे लगता है कि इस मामले में CBI दलील नहीं दे रहा है, कोई ऐसा आदमी बोल रहा है, जिसकी केस में दिलचस्पी है।
1. हमें जमानत पर आपत्ति है। यहां जमानत और गिरफ्तारी पर बहस को मिला दिया गया है।
2. मनीष सिसोदिया, के. कविता सभी पहले जमानत के लिए ट्रायल कोर्ट गए थे। केजरीवाल सांप-सीढ़ी के खेल की तरह शॉर्टकट अपना रहे।
3. केजरीवाल को लगता है कि वे एक एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी व्यक्ति हैं, जिनके लिए अलग व्यवस्था होनी चाहिए। हमारा कहना है कि गिरफ्तारी पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट पहली अदालत नहीं होनी चाहिए। केजरीवाल को ट्रायल कोर्ट जाना चाहिए।
4. ये गिरफ्तारी पर सवाल उठा रहे हैं, इन्हें कानून ध्यान से पढ़ना चाहिए। गिरफ्तारी जांच का ही एक हिस्सा है। अगर जांच करने की शक्ति है, तो गिरफ्तार करने की भी शक्ति है।
5. हमें स्पेशल कोर्ट से परमिशन मिली, वारंट जारी हुआ, इसके बाद हमने गिरफ्तारी की। जब प्रोसेस फॉलो करते हैं, तो मौलिक अधिकार लागू नहीं होते।
6. CBI ने केजरीवाल को कोई नोटिस नहीं भेजा, क्योंकि वे पहले से ही कस्टडी में थे।
7. अगर केजरीवाल को जमानत दी जाती है तो ये फैसला हाईकोर्ट को निराश करेगा।
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