सोशल संवाद/डेस्क : छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में मंगलवार को हुए एक दर्दनाक रेल हादसे ने पूरे क्षेत्र को हिला दिया। बिलासपुर-कटनी रेल मार्ग पर लालखदान स्टेशन के पास एक पैसेंजर ट्रेन और मालगाड़ी के बीच जोरदार टक्कर हो गई। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि पैसेंजर ट्रेन के डिब्बे पटरी से उतर गए और एक डिब्बा तो सीधे मालगाड़ी के ऊपर चढ़ गया। हादसे के बाद मौके पर अफरा-तफरी मच गई, यात्रियों की चीख-पुकार से पूरा इलाका गूंज उठा।
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प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, इस दुर्घटना में छह लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है जबकि 12 से अधिक यात्री गंभीर रूप से घायल हैं। कई यात्रियों की स्थिति नाजुक बताई जा रही है। मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका जताई जा रही है क्योंकि कई लोग अभी भी मलबे में फंसे हुए हैं। राहत और बचाव कार्य तेजी से जारी है।
हादसे की परिस्थितियाँ
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, यह हादसा उस वक्त हुआ जब हावड़ा रूट पर चल रही कोरबा पैसेंजर ट्रेन बिलासपुर की ओर जा रही थी। उसी समय सामने से एक मालगाड़ी आ रही थी। अचानक दोनों ट्रेनों के बीच आमने-सामने टक्कर हो गई। टक्कर इतनी तीव्र थी कि पैसेंजर ट्रेन के आगे के डिब्बे बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए। कुछ यात्रियों को तो ट्रेन के डिब्बों को गैस कटर की मदद से बाहर निकाला गया।
हादसे के बाद आसपास के गांवों के लोग और स्थानीय निवासी मौके पर पहुंचे और बचाव कार्य में जुट गए। उन्होंने घायलों को ट्रेन से बाहर निकालकर नजदीकी अस्पताल भेजने में मदद की। वहीं, रेलवे प्रशासन ने तुरंत आपात रेस्क्यू टीम, एम्बुलेंस और मेडिकल यूनिट को मौके पर रवाना किया।
राहत और बचाव कार्य
रेलवे और स्थानीय प्रशासन ने मौके पर संयुक्त राहत अभियान शुरू कर दिया है। बिलासपुर से लेकर रायपुर तक मेडिकल टीमों को अलर्ट कर दिया गया है। गंभीर रूप से घायलों को बिलासपुर जिला अस्पताल और अपोलो हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है। अस्पताल प्रशासन ने घायलों के लिए विशेष वार्ड तैयार किए हैं और अतिरिक्त डॉक्टरों की टीम तैनात की गई है।
रेस्क्यू टीम ने रेलवे ट्रैक पर मलबा हटाने का काम शुरू कर दिया है। हादसे के कारण इस रूट पर आने-जाने वाली सभी ट्रेनों का परिचालन रोक दिया गया है। कुछ ट्रेनों को दूसरे रूट से डायवर्ट किया गया है ताकि यात्रियों को न्यूनतम परेशानी हो। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि ट्रैक को दोबारा चालू करने में कई घंटे लग सकते हैं।
प्रशासन और रेलवे की प्रतिक्रिया
हादसे की सूचना मिलते ही रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी, जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक मौके पर पहुंच गए। रेलवे की जांच टीम ने घटना स्थल का निरीक्षण किया और साक्ष्य जुटाने का कार्य शुरू कर दिया है। फिलहाल हादसे की वजह का स्पष्ट पता नहीं चल पाया है, लेकिन प्राथमिक तौर पर सिग्नल या तकनीकी त्रुटि को कारण माना जा रहा है।
रेल मंत्री ने भी हादसे पर दुख जताया है और घटना की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं। उन्होंने मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने की घोषणा की है — प्रत्येक मृतक के परिवार को 10 लाख रुपये और गंभीर घायलों को 2 लाख रुपये की सहायता राशि दी जाएगी।
प्रत्यक्षदर्शियों की आँखों देखी
घटना स्थल पर मौजूद एक यात्री ने बताया, “अचानक जोरदार झटका लगा और हम सब सीट से उछल गए। कुछ ही सेकंड में चारों ओर धुआं और चिल्लाने की आवाज़ें आने लगीं। डिब्बा झुक गया था, लोग बाहर निकलने की कोशिश कर रहे थे लेकिन दरवाजे फंस गए थे।”
एक अन्य यात्री ने कहा, “हमने सोचा ट्रेन रुक जाएगी, लेकिन जैसे ही सामने मालगाड़ी दिखी, सब कुछ पलभर में खत्म हो गया।”
स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि हादसे के बाद चारों ओर मदद के लिए लोग दौड़ पड़े। कई ग्रामीणों ने अपने वाहनों से घायलों को अस्पताल पहुंचाया।
रेलवे रूट पर प्रभाव
यह हादसा बिलासपुर-कटनी रेलमार्ग पर हुआ है, जो भारतीय रेल के सबसे व्यस्त रूट्स में से एक है। इस मार्ग से रोज़ाना कई पैसेंजर और मालगाड़ियां गुजरती हैं। हादसे के बाद रेल परिचालन पूरी तरह ठप हो गया है। रेलवे ने वैकल्पिक रूट से कुछ ट्रेनों को चलाने का निर्णय लिया है, जबकि कई ट्रेनों को रद्द करना पड़ा है। इससे यात्रियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।
जांच जारी
रेलवे अधिकारियों ने कहा है कि जांच के बाद ही यह स्पष्ट होगा कि दुर्घटना का असली कारण क्या था। संभावना जताई जा रही है कि या तो सिग्नल फेल हुआ या किसी तकनीकी गड़बड़ी के कारण दोनों ट्रेनों को एक ही ट्रैक पर अनुमति मिल गई। ब्लैक बॉक्स और कंट्रोल रूम रिकॉर्ड की जांच की जा रही है।
घायलों का उपचार और मुआवजा
अब तक मिले आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, छह यात्रियों की मौत हो चुकी है जबकि 12 से अधिक घायल हैं। सभी घायलों को नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। डॉक्टरों ने बताया कि कुछ की हालत नाजुक बनी हुई है। रेलवे और जिला प्रशासन ने सभी घायलों के परिवारों को संपर्क में लेकर सहायता देने का आश्वासन दिया है।
बिलासपुर का यह रेल हादसा एक बार फिर रेलवे सुरक्षा प्रणाली पर सवाल खड़े करता है। भारत में हर साल सैकड़ों रेल दुर्घटनाएं तकनीकी गड़बड़ी या मानवीय भूल के कारण होती हैं। इस घटना ने यह साफ कर दिया है कि रेलवे को अपने सिग्नलिंग सिस्टम और ट्रैक मेंटेनेंस पर और अधिक ध्यान देने की ज़रूरत है। फिलहाल, राहत और बचाव कार्य जारी है, लेकिन जिन परिवारों ने अपने प्रियजनों को खोया है, उनके लिए यह सदमे से कम नहीं है।








