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BJP की सीट शेयरिंग फॉर्मूले से मांझी नाराज:धर्मेंद्र प्रधान से सिर्फ 15 मिनट की मीटिंग

By Muskan Thakur

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BJP की सीट शेयरिंग फॉर्मूले से मांझी नाराज:धर्मेंद्र प्रधान से सिर्फ 15 मिनट की मीटिंग

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सोशल संवाद/डेस्क : भाजपा के बिहार चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान सीट शेयरिंग के फॉर्मूले को लेकर रविवार को सबसे पहले केंद्रीय मंत्री ललन सिंह से मिले। उसके बाद जीतन राम मांझी के आवास पहुंचे। खबर है कि, धर्मेंद्र प्रधान के सीट शेयरिंग फॉर्मूले से मांझी नाराज हो गए हैं।

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महज 15 मिनट की मीटिंग के बाद धर्मेंद्र प्रधान, सम्राट चौधरी और विनोद तावड़े बाहर निकल आए। हालांकि बीजेपी नेताओं ने मीडिया से कोई बात नहीं की।उसके बाद मांझी भी आवास से निकले और कहा कि, कोई राजनीतिक बात नहीं हुई है। औपचारिक बैठक थी। मैं दिल्ली जा रहा हूं।दिल्ली रवाना होने से पहले धर्मेंद्र प्रधान और विनोद तावड़े ने उपेंद्र कुशवाहा से भी मुलाकात की। बताया जा रहा है कि सीट शेयरिंग पर अंतिम फैसले के लिए भाजपा नेतृत्व कुशवाहा से मिलने पहुंचे थे। करीब आधे घंटे तक बातचीत हुई, लेकिन मुलाकात के बाद किसी भी नेता ने बयान नहीं दिया।

वहीं सूत्रों की माने तो उपेंद्र कुशवाहा ने धर्मेंद्र प्रधान के सामने 12 से 15 सीटों की मांग रखी है। जिसपर धर्मेंद्र प्रधान ने कहा है कि इस पर विचार कर अंतिम चरण में निर्णय लिया जाएगा।जीतन राम मांझी पहले कह चुके हैं कि, ’15 से 20 सीटें हमें नहीं मिली तो 100 पर लड़ेंगे।’ जीतन राम मांझी ने कहा था कि, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) का लक्ष्य है कि 2025 में हमें मान्यता प्राप्त पार्टी बनना है।

इसके लिए जरूरी है कि विधानसभा में 8 सीटें जीते या फिर हमारा वोट 6 प्रतिशत हो। इसके लिए हम 15 सीटों की मांग कर रहे हैं।’हालांकि, पटना एयरपोर्ट पर पहुंचने के बाद मांझी के सुर बदल गए। उन्होंनें कहा कि, बातचीत हुई है और बहुत जल्दी ही सीटों का बंटवारा हो जाएगा। सब कुछ ठीक है।इससे पहले धर्मेंद्र प्रधान ने JDU के सीनियर लीडर और केंद्रीय मंत्री ललन सिंह से मुलाकात की।

विधायकों के परफॉर्मेंस पर चर्चा

 भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने उम्मीदवारों के चयन को लेकर अपनी रणनीति को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। पार्टी ने साफ कर दिया है कि इस बार टिकट उन्हीं नेताओं को मिलेगा, जिनकी जनता के बीच पकड़ मजबूत है।

खासकर जिनकी जीत की गारंटी पार्टी को दिख रही है। इसके साथ ही जिन विधायकों का परफॉर्मेंस खराब है या जिन पर एंटी-इनकंबेंसी का खतरा मंडरा रहा है, उनका टिकट कटना लगभग तय माना जा रहा है।

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