सोशल संवाद /जमशेदपुर : घाटशिला विधानसभा उपचुनाव में भाजपा हर चुनाव में नया प्रत्याशी देने की अपनी परंपरा कायम रखेगी या इस बार उक्त परंपरा को विराम लगाकर पुराने प्रत्याशी पर ही दाव खेलेगी। यह देखना दिलचस्प होगा। इसलिए इस विषय पर लोगों में खूब चर्चा हो रही है। जानकारी हो की घाटशिला विधानसभा चुनाव में भाजपा अपने किसी भी प्रत्याशी पर दोबारा दाव नहीं लगती है, चाहे वह जीता हुआ प्रत्याशी ही क्यों नहीं हो।
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यही कारण है कि घाटशिला उपचुनाव में टिकट की दावेदारी कर रहे पुराने दावेदार असमंजस की स्थिति में है। घाटशिला विधानसभा क्षेत्र में 1990 से लेकर 2024 तक आठ चुनाव हुए सभी ने पार्टी ने नया प्रत्याशी उतारा है। पार्टी का यह प्रयोग सही भी साबित हो रहा है। प्रत्येक चुनाव में भाजपा के वोटो की बढ़ोतरी हुई है। 2019 के विधानसभा चुनाव में हर किसी को आशा थी कि भाजपा नए प्रत्याशी देने की परंपरा खत्म करेगी, मगर पार्टी ने परंपरा को कायम रखते हुए सीटिंग विधायक की टिकट काटकर लखन मार्डी को चुनाव मैदान में उतार दिया।
जिसमें लखन मार्डी ने भी वोट बढ़ाने की परंपरा को आगे बढ़ते हुए 56807 मत हासिल किया और लगभग 7000 मतों से झामुमो प्रत्याशी रामदास सोरेन से पराजित हो गए। इसके बाद 2024 के चुनाव में पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के पुत्र बाबूलाल सोरेन को टिकट देकर चुनाव मैदान में उतार दिया। बाबूलाल सोरेन के नाम पर पार्टी के अंदर जमकर विरोध के बावजूद पार्टी को 75, 910 मत प्राप्त हुए और लगभग 23000 मत से हार गए।
एक बार पुनः घाटशिला विधानसभा में उपचुनाव को लेकर सभी की नजर भाजपा पर टिकी हुई है। लोगों के बीच में एक चर्चा जोरो पर है कि पार्टी अपनी पुरानी परंपरा को कायम रखते हुए नए प्रत्याशी पर दाव लगाएगी या अपने पुराने प्रत्याशी को फिर से मैदान में उतरेगी। इस बार के चुनाव में जहां पुराने चेहरे में बाबूलाल सोरेन, लखन मार्डी दावेदार हैं, तो नए चेहरे में डॉक्टर सुनीता देवदूत सोरेन, रमेश हांसदा के साथ-साथ अर्जुन मुंडा का भी नाम चर्चा में है। भाजपा में टिकट के लिए सभी दावेदार अपने स्तर से जोर आजमाइश कर रहे हैं। अब अब देखने वाली बात यह है कि पार्टी किस पर अपना दांव लगती है।








