सोशल संवाद / डेस्क (सिद्धार्थ प्रकाश ): भारतीय शेयर बाजार में आज ऐतिहासिक गिरावट देखी गई, जहां निफ्टी 420 पॉइंट नीचे आ गिरा। इस भारी गिरावट से निवेशकों के करोड़ों रुपये स्वाहा हो गए। लेकिन असली सवाल ये है — इस खेल का असली फायदा किसे हुआ?
आम निवेशकों के सपने टूट गए, लेकिन दलाल स्ट्रीट के बड़े मगरमच्छ और कुछ खास उद्योगपति इस मंदी में भी मुनाफा कमा रहे हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय, वित्त मंत्रालय और सेबी पर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर इस गिरावट से पहले निवेशकों को सचेत क्यों नहीं किया गया?
गरीबों की नहीं, अमीरों की जुआशाला बन चुका है स्टॉक मार्केट
स्टॉक मार्केट में वही पैसा लगाया जाता है, जो पहले ही कमाया गया हो — यह गरीबों की सेहत पर असर नहीं डालता, न ही रोजगार पैदा करता है, और न ही जीडीपी में खास योगदान देता है। लेकिन मीडिया में इसे अमीर बनने का शॉर्टकट दिखाया जाता है, जबकि हकीकत में यह कुछ बड़े खिलाड़ियों के लिए ‘कैश मशीन’ बन चुका है।
जब बाजार चढ़ता है, तो ब्रोकर्स और टीवी चैनल्स कहते हैं — “See, long-term investment is the key!” लेकिन जब बाजार गिरता है, तो वही लोग बोलते हैं — “Market is subject to risk, अपनी मर्जी से जलो!”
कौन है जिम्मेदार?
इस गिरावट के लिए सिर्फ अंतरराष्ट्रीय हालातों को दोष देना आसान है, मगर सच यह है कि सरकार, कॉरपोरेट्स और दलाल स्ट्रीट के बीच के मजबूत गठजोड़ ने इस सिस्टम को आम निवेशकों के खिलाफ खड़ा कर दिया है।
प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और वित्त मंत्री ने जनता को स्टॉक मार्केट में निवेश करने की सलाह दी थी, लेकिन अब जब बाजार धड़ाम हो गया, तो कोई जवाबदेह नहीं है। सेबी (SEBI) और पीएमओ ने मिलकर ऐसा सिस्टम बना दिया है, जहां छोटे निवेशकों को सिर्फ ‘लूटने की मशीन’ समझा जाता है।
उड़ता पैसा, लुटते सपने
कहानी वही है, किरदार बदल गए हैं। जब बाजार ऊपर जाता है, तो क्रेडिट सरकार और उद्योगपतियों को जाता है, और जब बाजार गिरता है, तो इसका ठीकरा वैश्विक मंदी पर फोड़ दिया जाता है।
यही खेल देखकर ‘मुन्ना भाई एमबीबीएस’ का डायलॉग याद आता है —
“तेरी लूट तो तेरी होगी, पर सीनियर लोग भी अपना हिस्सा ले जाएंगे!”
स्टॉक मार्केट में दो तरह के लोग होते हैं:
एक, जो अमीर बनने का सपना देखते हैं।
और दूसरे, जो पहले वाले लोगों की वजह से दिवालिया हो जाते हैं।
आम निवेशकों के लिए जरूरी सीख
1. भावनाओं से दूर रहें: स्टॉक मार्केट कोई मंदिर-मस्जिद नहीं है। यह सिर्फ एक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म है। सरकार ने सही कहा — “मार्केट में निवेश करने से पहले भगवद गीता पढ़ लें, क्योंकि अंत में वही काम आएगी!”
2. शॉर्टकट से बचें: जो जल्दी अमीर बनने का सपना देख रहे हैं, उनके लिए मार्केट का ‘हेयरकट’ जेब काटने के लिए तैयार रहता है।
3. बड़े खिलाड़ियों की चाल समझें: जब टीवी पर ‘बुल रन’ की हवा बनने लगे, समझ जाइए कि कोई बड़ा खिलाड़ी मुनाफा बुक कर रहा है और छोटे निवेशकों को मोहरा बना रहा है।
निष्कर्ष: बाजार गिरा, निवेशक रोए, उद्योगपति मुस्कुराए
स्टॉक मार्केट अब निवेश का नहीं, बल्कि अमीरों के जुए का अड्डा बन चुका है।
सरकार की प्राथमिकता सिर्फ बड़े उद्योगपतियों को खुश रखना है, आम निवेशकों की परवाह किसी को नहीं।
अब बाजार के विज्ञापन में एक नई लाइन जोड़नी चाहिए —
“यह बाजार उद्योगपतियों के लिए है, निवेशक अपनी रिस्क पर आएं, क्योंकि गारंटर कोई नहीं है!”
मोदी जी का नया नारा:
“सबका साथ, सबका विकास… बस आपका पैसा हमारे पास!”
