राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 एक भारतीय श्रम कानून और सामाजिक सुरक्षा उपाय है जिसका उद्देश्य’ कार्य करने का अधिकार ‘है। इसका लक्ष्य ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार की सुरक्षा को बढ़ाने के लिए एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिनों की रोज़गार प्रदान करने के लिए हर परिवार के लिए है, जिनके वयस्क सदस्य अकुशल मैनुअल काम करते हैं।
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मनरेगा को “एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिनों की गारंटीकृत मजदूरी रोजगार प्रदान करके ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका सुरक्षा को बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू किया गया था, जिसके लिए प्रत्येक परिवार के वयस्क सदस्यों को अकुशल मैनुअल काम करने के लिए स्वयंसेवा किया गया था।” मनरेगा का एक और उद्देश्य है टिकाऊ संपत्तियां(जैसे सड़कों, नहरों, तालाबों, कुओं)का निर्माण करें आवेदक के निवास के 5 किमी के भीतर रोजगार उपलब्ध कराया जाना है, और न्यूनतम मजदूरी का भुगतान करना है। यदि आवेदन करने के 15 दिनों के भीतर काम नहीं किया गया है, तो आवेदक बेरोजगारी भत्ता के हकदार हैं। इस प्रकार, मनरेगा के तहत रोजगार एक कानूनी हकदार है।
नरेगा या मनरेगा के अंतर्गत मिलने वाली 100 दिन की नौकरी का पैसा सरकार सीधे श्रमिक के बैंक अकाउंट में भेज देती है। आज हर पंचायत में बहुत सारे ग्रामीण श्रमिक ऐसे हैं जो नरेगा मनरेगा के पैसे की जानकारी जॉब कार्ड के जरिए ऑनलाइन नहीं देख पाते है।
देशभर में भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा राज्ये सरकारों की सहायता से महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) का क्रियान्वयन किया जा रहा है। यह योजना बीपीएल परिवारों के बेरोजगार लोगों को उनके घर से 5 किलोमीटर के दायरे में 100 दिन के काम की गारंटी देती है।
मनरेगा में एक दिन की सैलरी 255 रुपये प्रति दिन है, जो कि 2022-23 में 231 रुपये था. वही, बिहार और झारखंड ने पिछले साल की तुलना में लगभग आठ प्रतिशत की वृद्धि की है. पिछले साल इन दोनों राज्यों में मनरेगा के तहत 210 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान किया जाता था, अब इसे संशोधित कर 228 रुपये कर दिया गया है।
जिला कार्यक्रम समन्वयक एवं कलेक्टर बीएल कोठारी ने बताया कि महात्मा गांधी नरेगा योजनांतर्गत गर्मी के मौसम को देखते हुए श्रमिकों के लिए कार्य का समय सवेरे 6.30 बजे से दोपहर 2 बजे तक विश्रामकाल को सम्मिलित करते हुए निर्धारित किया गया हैं। इस अवधि के दौरान सवेरे 10.30 बजे से प्रात: 11 बजे तक भोजन-विश्राम का समय रहेगा।
मनरेगा का जनादेश प्रत्येक ग्रामीण परिवार को एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिनों का गारंटीकृत मजदूरी रोजगार प्रदान करना है, जिसके वयस्क सदस्य अकुशल शारीरिक कार्य करने के लिए स्वेच्छा से काम करते हैं।
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