संवाद/जमशेदपुर: पूर्वी के विधायक सरयू राय स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता को लेकर लगातार ट्वीट के माध्यम से खुलासा कर रहे हैं. ट्वीट के माध्यम से उन्होंने मंत्री बन्ना गुप्ता के ऊपर प्रतिबंधीत पिस्तौल रखने का आरोप लगाया हैं. साथ ही उन्होंने जिला प्रशासन और पुलिस के कार्य पर सवाल उठाया है.
उन्होंने कहा हैं कि सोशल मीडिया पर स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता द्वारा प्रतिबंधित ग्लौक पिस्तौल अवैध रूप से ख़रीदने, अवैध रूप से जमशेदपुर लाने, ज़िला के आर्म्स मजिस्ट्रेट के यहाँ ग़लत रिपोर्ट देने, कदमा थाना में आधी-अधूरी जानकारी देकर प्रतिबंधित पिस्तौल अवैध रूप से अपने घर में रखने और सार्वजनिक स्थान पर प्रतिबंधित पिस्तौल से फ़ायरिंग करने की शिकायत और जानकारी ज़िला प्रशासन और पुलिस को मिलने के तीन दिन बाद भी इस मामले में कोई कारवाई होने की सूचना नहीं है.
उन्होंने कहा कि मंत्री के अवैध कारनामा के बारे में दूरभाष पर राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस निदेशक के जानकारी दी और कहा कि वे इस बारे में ज़िला के उपायुक्त और वरीय पुलिस अधीक्षक से इस संबंध में एक स्वभारित प्रतिवेदन माँगे. मैंने उनसे कहा कि एक मंत्री की ग़ैरक़ानूनी गतिविधियों पर हाथ डालने में और क़ानूनी कदम उठाने में लगता है कि स्थानीय प्रशासन और पुलिस असहज महसूस कर रहे हैं. ऐसी स्थिति में राज्य के पुलिस एवं प्रशासनिक मुख्यालय से इन्हें आवश्यक समर्थन और निर्देश मिलना आवश्यक है ताकि ये अपने वैधानिक दायित्व का निर्वहन कर सकें.
विधायक ने कहा कि पुलिस महानिदेशक से मैंने कहा कि गृह मंत्रालय, भारत सरकार ने 21 जनवरी 2023 को ग्लौक पिस्तौल की ख़रीद बिक्री को अवैध ठहराते हुए सभी राज्यों को लिखा है कि यदि किसी ने यह पिस्तौल रखा है तो उसे जप्त कर सरकारी मालखाना में जमा करायें. जमशेदपुर के कदमा थाना क्षेत्र में निवास करने वाले स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के पास यह प्रतिबंधित पिस्तौल है. पत्रकारों के एक स्थानीय कार्यक्रम में एक दिन इन्होंने इससे फ़ायरिंग भी किया है.
मैंने डीजीपी को बताया कि इस कांड की सूचना जमशेदपुर ज़िला प्रशासन को मिले तीन दिन हो गये. पर इन्होंने कोई कारवाई नही की है. इन्हें चाहि था कि वे अविलंब यह प्रतिबंधित पिस्तौल जप्त कर मालाखाना में जमा करते और आर्म्स एक्ट की धारा-7 काँ उलंघन करने के लिये प्रतिबंधित पिस्तौल के धारक स्वास्थ्य मंत्री के विरूद्ध आर्म्स एक्ट की धारा- 25 A के तहत कारवाई करते. मंत्री की ग़ैरक़ानूनी हरकत के लिए उनके विरूद्ध कारवाई करते, एफआईआर दर्ज कर अनुसंधान करते. पर ऐसा हुआ नही.
डीजीपी झारखंड भलीभाँति अवगत हैं कि प्रतिबंधित पिस्तौल रखने के इस जुर्म की कम से कम सजा 7 साल की है. सजा की सीमा 14 साल तक हो सकती है. ऐसी स्थिति में जमशेदपुर की पुलिस एक संगीन जुर्म का मूकदर्शक बनी हुई है. सिर्फ़ इसलिए कि यह संगीन जुर्म करने वाला व्यक्ति सरकार में कैबिनेट मंत्री है. एक साधारण व्यक्ति ऐसा जुर्म किया होता तो पुलिस उसे सलाख़ों के पीछे पहुँचा चुकी होती. न्याय की नज़र में हर व्यक्ति समान है. समान जुर्म की सजा समान है. पर जमशेदपुर पुलिस इस न्यायिक सिद्धांत का पालन नहीं कर रही है. मंत्री होने के कारण एक व्यक्ति क़ानून का धड़ल्ले से उलंघन कर रही है और पुलिस प्रशासन लाचार बना हुआ है.
डीजीपी, झारखंड ने मुझे आश्वस्त किया कि वे इस आशय का प्रतिवेदन यथाशीघ्र ज़िला के एसएसपी से माँगेंगे और उचित कारवाई का निर्देश देंगे.