सोशल संवाद / जमशेदपुर: पूर्व सांसद सह कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डा. अजय कुमार ने हमला करते हुए कहा कि आज जब व्यापारियों को समर्थन की जरुरत थी, तब स्थानीय विधायक सरयू राय व सांसद विद्युत वरण महतो मौके से गायब रहे. मुझ पर आरोप लगाने वाले विधायक सरयू राय शहर में रहते हुए मौके पर नहीं पहुंचे, वहीं सांसद विद्युत वरण महतो अपनी राजनीति रोटी सेकने में व्यस्त रहे. इनका यही चरित्र है. बड़ी बड़ी बातें करते है लेकिन जब लोगों को उनकी जरुरत होती है तो वे मौके से गायब रहते है. मैंने जो कहा वो किया. जिला प्रशासन का डटकर सामना किया और उन्हें वापस लौटने पर मजबूर किया.
हर समय व्यापारियों के साथ खड़ा रहूंगा, नहीं टुटने देंगे गोदाम एवं घर
डा. अजय कुमार ने कहा कि जिला प्रशासन को आज हम लोगों ने रोक लिया. लेकिन इसका स्थायी समाधान कानूनी तौर पर ही निकालना होगा. इसके लिए हमें कानूनी लड़ाई लड़नी होगी. उन्होंने व्यापारियों से कहा कि कानूनी सहयोग भी हम करने के लिए तैयार है लेकिन लड़ाई आपको ही लड़नी होगी. कोर्ट में मजबूती से अपना पक्ष रखना होगा. मेरा सहयोग एव समर्थन हर मौके पर आपको मिलेगा.
अधिकारियों से बातचीत कर पुलिस प्रशासन को वापस लौटाया
दल बल के साथ लालबाबा फाउंड्री स्थित गोदाम को तोड़ने पहुंची जिला प्रशासन के पदाधिकारियों से डा. अजय कुमार भिड़ गए. उन्होंने व्यापारियों के तरफ से मौर्चा संभाल लिया, पदाधिकारियों से जब अजय कुमार ने सवाल पूछा तो अधिकारियों के पास उनके सवाल का कोई जवाब नहीं था. उन्होंने कहा कि गोदाम मालिकों को बिना नोटिस दिए और बिना उनके लिए वैकल्पिक व्यवस्था किए इतने लोगों को उजाड़ना कैसे संभव है. अंततः जिला प्रशासन को वापस लौटना पड़ा.
अपनी गलती छुपाना के लिए बीजेपी ने किया विरोध
बीजेपी कार्यकर्ताओं द्वारा विरोध किए जाने पर डा. अजय ने कहा कि 25 वर्षों के शासन का पोल खुलने पर भाजपा बौखला गई है. इससे पूर्व शुक्रवार को लालबाबा फाउंड्री स्थित गोदाम को बचाने के लिए धरना स्थल पर व्यापारियों को संबोधित करने पहुंचे डा. अजय कुमार का भाजपाइयों ने विरोध करना शुरु कर दिया. इस अवसर डा. अजय ने कहा कि मेरा मकसद राजनीति करना नहीं बल्कि लोगों को सच्चाई से अवगत कराना है. सच बोलने से किसी को परेशानी हो रही है तो मैं क्या कर सकता हूं. उन्होंने कहा कि बीजेपी के पूर्व विधायक (रघुवर दास) की गलत नीतियों के कारण आज यह स्थिति पैदा हुई.
उन्होंने कहा कि जब रघुवर दास ने 86 बस्तियों को लीज से बाहर कराया था तब इस एरिया को लीज से बाहर क्यों नहीं करवाए. यदि लाल बाबा फाउंड्री का एरिया लीज से बाहर होता तो कानूनी लड़ाई में हमारा पक्ष मजबूत रहता. लेकिन भाजपा और रघुवर दास ने चालाकी दिखाते हुए सभी 86 बस्तियों को तो लीज से बाहर करा दिया लेकिन लाल बाबा फाउंड्री को लीज से बाहर नहीं कराए. जिसके कारण यह स्थिति पैदा हुई है. कार्पोरेट घराने को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य यह सब किया गया. इससे कितने बीजेपी नेता लाभांवित हुए इसकी जांच होना चाहिए. यही सच्चाई है.
जब बीजेपी को इस बात का एहसास हो गया कि उनकी चोरी पकड़ी गई है. तो मेरा विरोध करने लगे. उनके पास मेरे सवाल का जवाब नहीं है. इसलिए हंगामा करने लगे ताकि सच्चाई लोगों को पता ना चले. भाजपा का यही चरित्र है. जब उनकी चोरी पकड़ी जाती है तो हंगामा करते है.
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