सोशल संवाद / डेस्क : पूरे उत्तर भारत का किसान दिल्ली कूच कर रहा है। चारों तरफ बेचैनी और त्राहिमाम मचा है। किसानों को MSP गारंटी का कानून देना तो दूर, मोदी सरकार किसानों को न्याय की गुहार लगाने दिल्ली तक आने देने को तैयार नहीं।
पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर पिछले 9 महीने से कैंप लगाकर बैठे किसानों का दिल्ली कूच शुरू हो गया है। हरियाणा पुलिस ने शांतिपूर्ण ढंग से पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत कूच के लिए बढ़ रहे निहत्थे किसानों पर आंसू गैस के गोले छोड़े हैं जिसमें 7 किसान घायल हुए हैं। 101 किसानों ने पैदल अंबाला की तरफ बढ़ते हुए 2 बैरिकेड पार कर लिए हैं। अब उन्हें हरियाणा पुलिस और पैरामिलिट्री के बैरिकेड पर रोक लिया गया है।
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हमारी केंद्र सरकार से दो टूक माँग है कि वो किसानों पर दमनकारी रवैया छोड़कर उनके साथ सौहार्दपूर्ण ढंग से बातचीत करें और अपने पुराने वायदे के मुताबिक़ फसलों की एमएसपी की क़ानूनी गारंटी समेत सभी मांगों को स्वीकार करके लागू करने की घोषणा संसद में करें। कांग्रेस पार्टी और पूरा देश किसानों के शांतिपूर्ण आंदोलन और जायज़ मांगों के साथ है और उन पर किया गया कोई भी दमन, मोदी सरकार के कफ़न में कील साबित होगा।
किसान के रास्ते में दिल्ली के चारों ओर कीलें, नश्तर और दीवारें खड़ी की जा रही हैं। आज़ादी के 75 साल बाद देश के अन्नदाता किसान को अब देश की सरकार से न्याय मांगने तक की इजाजत नहीं। दूसरी ओर, देश के कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान भरे सदन में झूठ बोलते हैं, तो आवाज भारी रखते हैं, और नए झूठ की तैयारी रखते हैं।
मोदी सरकार और उसके कृषि मंत्री शिव राज सिंह चौहान के पकड़े गए झूठ:
1. कृषि मंत्री शिव राज सिंह चौहान का पकड़ा गया झूठ नंबर 1
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हम पर्याप्त फसलें खरीद रहे हैं। कृषि मंत्री जी ने सदन में कहा कि MSP पर फसल खरीदी जाती है, पर सच्चाई देखिए:
मोदी सरकार के समर्थन मूल्य पर 2023-24 में रबी फसलों को खरीदने का सच:-
गेहूं: 23.20%
जौ: 0%
चना: 0.37%
मसूर: 14.08%
सरसों: 9.19%
2. कृषि मंत्री शिव राज सिंह चौहान का पकड़ा गया झूठ नंबर 2
संसद में कृषि मंत्री कहते हैं कि किसानों को लागत+50% पर MSP दिया जा रहा है, पर इसकी सच्चाई देखिए:
केंद्र की भाजपा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में 6 फरवरी 2015 को शपथ पत्र दिया कि किसानों को लागत के 50% ऊपर समर्थन मूल्य नहीं दिया जा सकता, नहीं तो बाजार खराब हो जायेगा। अर्थात जुमलानाथन ने स्वामीनाथन की सिफारिशों से किया इंकार।
3. कृषि मंत्री शिव राज सिंह चौहान का पकड़ा गया झूठ नंबर 3
संसद में कृषि मंत्री कहते हैं कि किसान को लागत से 100% से 200% अधिक MSP दिया जा रहा है। पर वास्तविकता में तो किसान को फसल की लागत भी नहीं दी जा रही। यह हम नहीं कह रहे, यह ख़ुद भाजपा-शासित प्रांतों ने CACP को कहा।
कृषि मंत्री जी राज्य सरकारों ने भी समर्थन मूल्य को ऊँट के मुंह में जीरे के समान माना: कृषि मंत्री, शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हम किसानों को लागत + 50% दे रहे हैं। गेहूँ के लिए महाराष्ट्र ने बताया कि उसके राज्य में लागत 3527 रूपये प्रति क्विंटल आती है तथा उसे गेहूँ का समर्थन मूल्य 4461 रूपये प्रति क्विंटल दिया जाये। इसी प्रकार महाराष्ट्र चना उत्पादन में देश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है उसने कहा कि चने की लागत 5402 रूपये प्रति क्विंटल आती है और उसे समर्थन मूल्य 7119 रूपये प्रति क्विंटल दिया जाये। मगर मोदी सरकार ने महाराष्ट, गुजरात, झारखंड जैसे लगभग सभी प्रांतों की मांग को खारिज कर दिया।
गेहूँ
महाराष्ट्र ने 2025.26 के लिए MSP मांगा 4461 रू.प्रति क्विं.
झारखंड ने 2025.26 के लिए MSP मांगा 2855 रू. प्रति क्विं.
गुजरात ने 2025.26 के लिए MSP मांगा 4050 रू. प्रति क्विं.
चना
महाराष्ट्र ने 2025.26 के लिए MSP मांगा 7119 रू. प्रति क्विं.
आंध्रप्रदेश ने 2025.26 के लिए MSPमांगा 8341 रू. प्रति क्विं.
गुजरात ने 2025.26 के लिए MSP मांगा 7050 रू.प्रति क्विं.
मसूर
बिहार ने 2025.26 के लिए MSP मांगा 7298 रू. प्रति क्विं.
मध्यप्रदेश ने 2025.26 के लिए MSPमांगा 6825 रू. प्रति क्विं.
सरसों
बिहार ने 2025.26 के लिए MSP मांगा 7298 रू. प्रति क्विं.
असम ने 2025.26 के लिए MSP मांगा 6215 रू. प्रति क्विं.
4. कृषि मंत्री शिव राज सिंह चौहान का पकड़ा गया झूठ नंबर 4।
कृषि मंत्री जी मोदी सरकार के रबी सीजन 2025-26 के समर्थन मूल्य का सच:
मोदी सरकार ने हाल ही में रबी सीजन 2025-26 के लिए फसलों के समर्थन मूल्य की घोषणा की। पिछले वर्ष की तुलना में यह वृद्धि सिर्फ 2.4 से 7% तक की है। नीचे दिये गये चार्ट में स्वामीनाथन का समर्थन मूल्य और जुमलानाथन के समर्थन मूल्य का अंतर साफ दिखायी देता है।
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राशि रू. प्रति क्विंटल में
जुमलानाथन MSP
2025-26
स्वामीनाथन MSP
2025-26 (C2+50)
गेहूँ
2425 (6.6%)
2580
जौ
1980 (7.0%)
2605
चना
5650 (3.9%)
6993
मसूर
6700 (4.3%)
7591.5
सरसों
5950 (5.3%)
6441
कुसुम
5940 (2.4%)
8325
ब्रैकेट में दिये गये % पिछले साल (2024-25) रबी फसलों के घोषित समर्थन मूल्य की वृद्धि को दर्शाते हैं।
5. कृषि मंत्री शिव राज सिंह चौहान का पकड़ा गया झूठ नंबर 5।
सोयाबीन में भी नहीं दिया लागत+50%:
महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश देश के दो सबसे बड़े सोयाबीन उत्पादक प्रदेश हैं। सोयाबीन का लागत मूल्य केंद्र सरकार ने 3,261 रूपये, समर्थन मूल्य 4,892 रूपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया। आज सोयाबीन महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में 4,000 रूपये प्रति क्विंटल से भी कम में बिक रही है। विडंबना यह है कि महाराष्ट्र ने सोयाबीन की उत्पादन लागत ही 6,039 रूपये प्रति क्विंटल बतायी थी तथा म. प्र. ने 4,455 रूपये प्रति क्विंटल लागत और मूल्य आयोग को बतायी थी। आज महाराष्ट्र में सोयाबीन का समर्थन मूल्य लागत मूल्य से भी कम है।
कृषि मंत्री जी, प्रधान मंत्री जी ने महाराष्ट्र में घोषणा की थी कि महायुति की सरकार बनी, तो 6,000 रुपए प्रति क्विंटल सोयाबीन के दाम देगी। क्या प्रति क्विंटल 6,000 रुपए दिए जा रहे हैं, और क्या पिछली खरीद के लिए भी ये दाम दिए जाएंगे।
वक्त आ गया है कि प्रधानमंत्री, नरेंद्र मोदी खुद देश के किसानों को बुलाएं और MSP की कानूनी गारंटी का कानून संसद के इसी सत्र में लेकर आएं। जान लें, सबकुछ इंतजार कर सकता है, खेती नहीं।