सोशल संवाद / नई दिल्ली : राजधानी दिल्ली को स्वच्छ, स्वस्थ और रहने योग्य बनाने के उद्देश्य से आज दिल्ली सरकार के माननीय पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने ओखला लैंडफिल स्थल का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने इस लैंडफिल साइट पर चल रही बायो-रिमेडिएशन और बायो-माइनिंग गतिविधियों का जायजा लिया। उल्लेखनीय है कि यह लैंडफिल साइट लंबे समय से दिल्ली की सबसे गंभीर पर्यावरणीय चुनौतियों में से एक रहा है। निरीक्षण के दौरान मंत्री के साथ दिल्ली के माननीय महापौर राजा इकबाल सिंह, सांसद रामवीर सिंह बिधूड़ी, क्षेत्रीय प्रतिनिधि तथा एमसीडी और राजस्व विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
यह भी पढ़े : पर्यटन के लिहाज़ से दिल्ली ट्रांसिट पॉइंट से आगे बढकर वैश्विक पर्यटन केंद्र बने – कपिल मिश्रा
विजिट के दौरान माननीय मंत्री ने कहा कि 62 एकड़ क्षेत्र में फैले ओखला लैंडफिल की ऊँचाई 60 मीटर से घटकर अब 20 मीटर रह गई है। इसके तहत अब तक 30 एकड़ से अधिक भूमि को कचरे से मुक्त होकर समतल हो चुकी है। सरकार का लक्ष्य है कि दिसंबर 2025 तक 30 लाख मीट्रिक टन पुराने कचरे को हटाया जाए और वर्ष 2028 तक दिल्ली से सभी “कूड़े के पहाड़” समाप्त कर दिए जाएं। सिरसा ने कहा, “जो काम पिछली ‘आप-दा’ सरकार 10 वर्षों में भी नहीं कर पाई, वह हम कुछ ही समय में करके दिखा रहे हैं। यह कोई जादू नहीं, बल्कि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन और माननीय मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता जी के नेतृत्व में किये गए स्वच्छ दिल्ली संकल्प के निरंतर प्रयास का नतीजा है। आम आदमी पार्टी का नाम बदलकर अब ‘आगे आए पॉल्यूशन पार्टी’ कर दिया जाना चाहिए।”
इस अवसर पर माननीय मंत्री ने बताया कि अब तक 56 लाख मीट्रिक टन पुराने कचरे की साइंटिफिक बायो-माइनिंग और प्रोसेसिंग हो चुकी है। चरण 2 के अंतर्गत 6.55 लाख मीट्रिक टन कचरे की प्रोसेसिंग तो सिर्फ कुछ महीनों में ही की गई है। चरण 2 के तहत 20 लाख मीट्रिक टन कचरे की प्रोसेसिंग जारी है जिसे आवश्यकतानुसार 30 लाख मीट्रिक टन तक बढ़ाया जा सकता है। इस लक्ष्य की समय-सीमा दिसंबर 2025 है जिसके लिए कार्य तेजी से प्रगति पर है, जबकि सरकार अक्टूबर 2025 तक ही इस लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रयास कर रही है।
कचरे के समुचित निस्तारण में बायो-माइनिंग प्रक्रिया के तहत पुराने कचरे को इनर्ट मैटेरियल, मिट्टी, रीसाइक्लेबल और आरडीएफ (Refuse-Derived Fuel) में विभाजित किया जाता है। आरडीएफ का उपयोग वैकल्पिक ईंधन के रूप में सीमेंट और पेपर उद्योगों में किया जा रहा है, जबकि अन्य सामग्रियों का उपयोग सड़क निर्माण और साइट लेवलिंग जैसे कार्यों में किया जा रहा है। माननीय सिरसा ने आगे कहा, “अगर भारत सीमा पार जाकर आतंकियों के ठिकाने नष्ट कर सकता है, तो हम अपनी राजधानी से कूड़े के पहाड़ भी हटा सकते हैं ताकि दिल्ली के नागरिकों का स्वास्थ्य और भविष्य सुरक्षित रह सके। जैसे पृथ्वी से डायनासोर लुप्त हो गए, वैसे ही ये कूड़े के पहाड़ भी दिल्ली से गायब हो जाएंगे। दिल्ली में पर्यावरण सुधार के क्षेत्र में यह एक ऐतिहासिक बदलाव है। इससे लैंडफिल के आसपास रहने वाले लाखों लोगों को एक नया जीवन मिलेगा।”
उन्होंने कहा कि हमारी सरकार की प्राथमिकताओं में दिल्ली वासियों को स्वच्छ हवा और स्वच्छ जल मुहैया कराने के अलावा कचरे के पहाड़ों का पूर्ण सफाया शामिल है। पर्यावरण मंत्री ने जोर देकर कहा कि यह परियोजना ‘विकसित दिल्ली’ मिशन का एक अहम हिस्सा है, और यह राजधानी में ठोस कचरा प्रबंधन की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। इस परियोजना का उद्देश्य न सिर्फ शहरी भूमि को पुनः उपयोग के लायक बनाना है और हरियाली विकसित कर आग लगने के खतरे को कम करना है। बरसात के मौसम में कचरे पर गिरने वाला पानी रिसकर जमीन के अंदर चला जाता है जो भूजल को भी प्रदूषित कर देता है। कूड़े के पहाड़ हटने से भूजल के प्रदूषण को रोका जा सकेगा और पानी में मिलने वाले हानिकारक तत्वों पर भी नियंत्रण किया जा सकेगा। इन कचरे के पहाड़ों के हटने से लैंडफिल साइट्स के आसपास रहने वाले लाखों लोगों को नया जीवन मिलेगा।