सोशल संवाद/ डेस्क: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision- SIR) को लेकर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को अहम सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने चुनाव आयोग से कड़ा सवाल पूछा कि आखिर वह मतदाता सूची के पुनरीक्षण के दौरान नागरिकता की जांच क्यों कर रहा है, जबकि यह कार्यक्षेत्र गृह मंत्रालय का है।
सुनवाई की अगुवाई कर रही जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि SIR प्रक्रिया का उद्देश्य वोटर लिस्ट को अपडेट करना है, न कि नागरिकता की वैधता जांचना. कोर्ट ने चुनाव आयोग से स्पष्ट किया कि वह अपनी सीमाओं को समझे और संवैधानिक जिम्मेदारियों का पालन करे।
राजद सांसद मनोज झा, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा समेत 11 याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर आरोप लगाया है कि बिहार में SIR के नाम पर वोटर की नागरिकता पर सवाल उठाए जा रहे हैं, जो संविधान और चुनाव कानून के खिलाफ है. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह प्रक्रिया न सिर्फ असंवैधानिक है बल्कि लाखों वैध वोटरों को सूची से बाहर करने का प्रयास है.
सुनवाई के दौरान कोर्ट में अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए चुनाव आयोग ने भरोसा दिलाया है कि मतदाता सूची से किसी भी व्यक्ति का नाम बिना उचित सुनवाई और प्रक्रिया के बाहर नहीं किया जाएगा. आयोग ने कहा कि प्रत्येक मतदाता को अपनी बात रखने का पूरा मौका मिलेगा।