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नीरज चोपड़ा का सेना में हुआ प्रमोशन, अब भाला के साथ संभालेंगे लेफ्टिनेंट कर्नल की भी जिम्मेदारी

By Tamishree Mukherjee

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Neeraj Chopra got promoted in the army

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सोशल संवाद / डेस्क : Golden Boy नीरज चोपड़ा अब लेफ्टिनेंट कर्नल की उपाधि से सम्मानित हुए हैं। भाला फेंक (जेवेलिन थ्रो) में दुनिया के टॉप एथलीट्स में शामिल नीरज ने 2016 में भारतीय सेना में नायब सूबेदार के रूप में अपनी सेवा की शुरुआत की थी और 2018 में सूबेदार के पद पर पदोन्नत हुए थे। अब रक्षा मंत्रालय ने बुधवार, 14 मई को उन्हें भारतीय सेना की टेरिटोरियल आर्मी में लेफ्टिनेंट कर्नल के पद से सम्मानित करने की घोषणा की है।

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नीरज चोपड़ा को भारत की टेरिटोरियल आर्मी रेगुलेशन, 1948 के पारा-31 के तहत यह मानद पद प्रदान किया गया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें यह रैंक दी है। नीरज को सक्रिय सैन्य सेवा में शामिल होने की आवश्यकता नहीं होगी। उनकी भूमिका युवाओं को सेना और खेल के लिए प्रेरित करने और सेना के प्रचार-प्रसार में योगदान देने की होगी।

टेरिटोरियल आर्मी (Territorial Army) क्या होती है?

टेरिटोरियल आर्मी (TA) भारतीय सेना का एक स्वैच्छिक, अंशकालिक (part-time) संगठन है, जो उन नागरिकों को सेना में सेवा का अवसर देता है जो पहले से किसी नौकरी या व्यवसाय में संलग्न हैं। इसे “नागरिकों की सेना” (Citizens’ Army) भी कहा जाता है। यह नियमित सेना का सहायक भाग है, जो युद्ध, प्राकृतिक आपदा या राष्ट्रीय संकट के समय सहायता प्रदान करता है। टेरिटोरियल आर्मी का मोटो है: “सावधानी और वीरता”। इसका मुख्य उद्देश्य है कि आपातकाल, युद्ध या आंतरिक सुरक्षा जैसे हालातों में नियमित सेना को सहायता दी जा सके।

टेरिटोरियल आर्मी के सामान्य ट्रेनिंग नियम:

रिक्रूट ट्रेनिंग: पहले साल में 32–36 दिन की ट्रेनिंग होती है, जिसमें वीकेंड्स और छुट्टियों पर की गई 4 घंटे की ट्रेनिंग को एक दिन माना जाता है। इसमें कम से कम 4 दिन का कैंप शामिल होता है।

पोस्ट-कमिशन ट्रेनिंग: नए ऑफिसर्स को 10 हफ्ते की ट्रेनिंग इंडियन मिलिट्री अकैडमी (IMA), देहरादून में करनी होती है। लेकिन मानद रैंक वालों को इससे छूट मिल सकती है।

वार्षिक ट्रेनिंग: हर साल कम से कम 36 दिन की ट्रेनिंग, जो आवश्यकता अनुसार 60 दिन तक बढ़ सकती है। इसमें 14 दिन का कैंप शामिल होता है।

मानद रैंक के लिए छूट:

नीरज जैसे प्रतिष्ठित खिलाड़ियों को प्रशिक्षण से छूट दी जाती है क्योंकि उनकी भूमिका प्रेरणादायक और प्रचारात्मक होती है, न कि सक्रिय सैन्य सेवा की। उदाहरण के लिए, एम.एस. धोनी (लेफ्टिनेंट कर्नल, टेरिटोरियल आर्मी) और सचिन तेंदुलकर (ग्रुप कैप्टन, वायुसेना) को भी इसी प्रकार की छूट प्रदान की गई थी।

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