सोशल संवाद / डेस्क : नेपाल में हाल ही में हुए भारी विरोध प्रदर्शनों बाद सरकार गिर गई और प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा। अब यही तस्वीर यूरोप के देश फ्रांस में भी देखने को मिल रही है, जहां भ्रष्टाचार और सख्त आर्थिक नीतियों के खिलाफ जनता सड़कों पर उतर आई है।
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फ्रांस में ‘ब्लॉक एवरीथिंग’ आंदोलन
फ्रांस की राजधानी पेरिस और अन्य बड़े शहरों में ‘ब्लॉक एवरीथिंग’ नामक आंदोलन ने उग्र रूप ले लिया है।
- पेरिस में 200 से ज्यादा लोग गिरफ्तार किए गए।
- नकाबपोश प्रदर्शनकारियों ने सड़कें जाम कर दीं।
- रेलवे हब गारे दू नॉर और कई चौराहों को भी घेर लिया गया।
- सरकार ने हालात काबू में करने के लिए 80,000 पुलिसकर्मी और सुरक्षाबल तैनात किए हैं।
फ्रांस की राजनीतिक अस्थिरता
यह प्रदर्शन उस वक्त शुरू हुए जब राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने नए प्रधानमंत्री सेबास्टियन लेकोर्नू को नियुक्त किया। लेकोर्नू ने पूर्व पीएम फ्रांस्वा बायरो की जगह ली, जिन्हें अपनी कठोर बजट कटौती योजना (£35 अरब यानी 3.7 लाख करोड़ रुपये) के कारण आत्मविश्वास मत में हारकर इस्तीफा देना पड़ा।
हिंसा और अराजकता का माहौल
प्रदर्शनकारी न केवल रेल और सड़क यातायात ठप कर रहे हैं, बल्कि तेल डिपो, पेट्रोल पंप और सुपरमार्केट को भी निशाना बना रहे हैं। सोशल मीडिया पर कुछ समूह लूटपाट की अपील कर रहे हैं, जिससे हालात और बिगड़ने की आशंका है।
यह घटनाएं फ्रांस के ‘यलो वेस्ट्स’ आंदोलन की याद दिलाती हैं, जिसने कुछ साल पहले भी मैक्रों सरकार को नीतियों में बदलाव करने पर मजबूर किया था।
FAQ – फ्रांस और नेपाल में प्रदर्शन से जुड़े सवाल
Q1. नेपाल में सरकार क्यों गिरी?
नेपाल में भ्रष्टाचार और सरकार की नीतियों के खिलाफ जनता के भारी प्रदर्शन के बाद प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया।
Q2. फ्रांस में ‘ब्लॉक एवरीथिंग’ आंदोलन क्या है?
यह एक राष्ट्रव्यापी विरोध आंदोलन है जिसमें प्रदर्शनकारी सड़कें, रेलवे स्टेशन और तेल डिपो ब्लॉक कर रहे हैं।
Q3. फ्रांस में कितने पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं?
सरकार ने हालात संभालने के लिए लगभग 80,000 पुलिसकर्मी और सुरक्षाबल तैनात किए हैं।
Q4. क्या यह आंदोलन फ्रांस के ‘यलो वेस्ट्स’ विरोध जैसा है?
हाँ, मौजूदा प्रदर्शन भी उतने ही हिंसक और व्यापक हो रहे हैं, जिससे फ्रांस में अराजकता का माहौल बन गया है।








