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नई जीएसटी दरें: छोटे कारों पर 18%, लक्ज़री एसयूवी पर 40%

By Aditi Pandey

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New Gst Rates Vehicles

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सोशल संवाद/डेस्क/New Gst Rates Vehicles: जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक, जो 3 सितंबर 2025 को हुई, ने वाहन कराधान व्यवस्था में बड़ा बदलाव किया है। यह नई दरें 22 सितंबर 2025 से लागू होंगी। अब तक कारों पर जीएसटी के साथ अलग-अलग श्रेणी के अनुसार सेस भी लगाया जाता था, जिससे कुल टैक्स दर काफी ऊँची हो जाती थी। छोटे पेट्रोल कारों पर 29%, छोटे डीज़ल कारों पर 31%, मिड-साइज़ कारों पर 43%, लक्ज़री कारों पर 48% और एसयूवी पर 50% तक कर देना पड़ता था। केवल इलेक्ट्रिक वाहनों को छूट मिली थी, जिन पर मात्र 5% जीएसटी लागू था।

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नई व्यवस्था में सबसे बड़ा बदलाव यह है कि सेस को पूरी तरह खत्म कर दिया गया है और अब केवल दो टैक्स स्लैब रहेंगे। छोटे वाहनों, जिनमें 1200 सीसी तक की पेट्रोल, सीएनजी या एलपीजी कारें और 1500 सीसी तक की डीज़ल कारें आती हैं और जिनकी लंबाई 4 मीटर से कम है, उन पर अब सिर्फ 18% जीएसटी लगेगा। पहले इन वाहनों पर 29 से 31 प्रतिशत टैक्स देना पड़ता था। इसका सीधा लाभ आम उपभोक्ताओं को मिलेगा और एंट्री लेवल कारों की कीमतें कम होंगी।

वहीं मिड-साइज़ और बड़े वाहनों के लिए नई दर 40% तय की गई है। इसमें वे सभी गाड़ियाँ शामिल हैं जिनकी इंजन क्षमता 1500 सीसी से अधिक है या लंबाई 4 मीटर से ज्यादा है। साथ ही एसयूवी, एमयूवी, एमपीवी और एक्सयूवी जैसी गाड़ियाँ भी इसी श्रेणी में आएंगी। हालांकि दर 40% सुनने में ज्यादा लगती है, लेकिन पहले इन पर 48 से 50 प्रतिशत तक टैक्स देना पड़ता था। ऐसे में सेस हटने के बाद बड़े वाहनों और लक्ज़री कारों की कीमत भी अब पहले से कम होगी। इलेक्ट्रिक वाहनों पर पुरानी ही दर यानी 5% जीएसटी लागू रहेगा।

इस बड़े कर सुधार का असर न सिर्फ उपभोक्ताओं पर बल्कि स्टॉक मार्केट पर भी देखने को मिलेगा। छोटी गाड़ियों और टू-व्हीलर सेगमेंट में मांग में उछाल आने की उम्मीद है, जिसका फायदा मारुति, महिंद्रा, हीरो मोटोकॉर्प और टीवीएस जैसी कंपनियों को होगा। त्योहारों से पहले उपभोक्ता टिकाऊ सामानों और एफएमसीजी उत्पादों की खरीदारी भी बढ़ाएँगे, क्योंकि इन पर भी जीएसटी दरों में कटौती की गई है। बीमा क्षेत्र को भी बड़ा लाभ मिला है क्योंकि जीवन और स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर अब जीएसटी से छूट होगी।

कुल मिलाकर, नई जीएसटी व्यवस्था ने वाहन कराधान को सरल बनाया है और उपभोक्ताओं को राहत दी है। जहाँ एक ओर आम खरीदारों को छोटी कारें सस्ती मिलेंगी, वहीं प्रीमियम और एसयूवी सेगमेंट में भी कीमतों में कमी आएगी। यह कदम न सिर्फ ऑटोमोबाइल सेक्टर बल्कि पूरी अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक साबित हो सकता है।

आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि 22 सितंबर के बाद बाजार में गाड़ियों की कीमतों और कंपनियों के शेयरों पर इसका कितना असर पड़ता है।

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