सोशल संवाद/डेस्क : भारतीय सेना आतंकवाद और नई तरह की चुनौतियों से निपटने के लिए ‘नया युद्ध सिद्धांत’ अपनाने की तैयारी में है। दरअसल, दशकों से सीमापार से प्रायोजित आतंकवाद से लड़ाई और हाल के ऑपरेशन सिंदूर से मिले सबक इसका आधार बनेंगे।

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नए युद्ध सिद्धांत में दर्ज होगा कि आतंकी हमले देश के खिलाफ युद्ध हैं। नॉन स्टेट एक्टर्स की आड़ में आतंक को ‘स्टेट पॉलिसी’ के तौर पर इस्तेमाल करने वालों से निपटने के लिए सैन्यबल 24 घंटे तैयार रहेंगे। ऐसी आक्रामक रणनीति नई युद्ध नीति का आधार होगी। सैन्य मामलों का विभाग नए युद्ध सिद्धांत के तमाम पहलुओं पर काम कर रहा है।
नए सिद्धांत में ‘सामरिक संयम’ की जगह ‘प्रोएक्टिव डेटेरेंस’, ‘प्रिएम्टिव स्ट्राइक्स’ और ‘प्रिवेंटिव कार्रवाई’ पर जोर रहेगा। इनका मतलब है कि दुश्मन को पहले ही डराकर रोकना, खतरा दिखे तो हमला करना और भविष्य के खतरों से पहले ही निपटना।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) की निगरानी में इसे अंतिम रूप दिया जाएगा। शुरुआत में सेना ने एक फ्यूचर वॉरफेयर एनालिसिस ग्रुप बनाया है, जो युद्ध के तौर-तरीकों का अध्ययन करेगा। इस ग्रुप की सिफारिश पर नया ट्रेनिंग सिस्टम, सैन्य बलों के आधुनिकीकरण, खरीदारी और ऑपरेशनल प्लानिंग तय की जाएगी।
ऑपरेशन सिंदूर से सबक लेकर रणनीति में किए बदलाव
सेना टेक्नोलॉजी संचालित कार्रवाई पर खास ध्यान देगी। आमने-सामने की लड़ाई कम हो। आक्रमण के लिए स्कैल्प, हैमर और ब्रह्मोस जैसी मिसाइलों और डिफेंस के लिए आकाश और स्काई स्ट्राइकर जैसे ड्रोंस का जखीरा बढ़ाया जाएगा। तैयारी ऐसी होगी कि दुश्मन आकलन न कर पाए कि किस उकसावे का कितना जवाब देंगे। ऑपरेशन सिंदूर में भी यही रणनीति अपनाई थी।
जनमत पक्ष में रखने के लिए दुष्प्रचार तत्काल बंद करना और सही सूचना से सही नैरेटिव बनाना जरूरी है। नए युद्ध सिद्धांत में मीडिया वारफेयर में अहम कड़ी रहेगा।








