सोशल संवाद / डेस्क : बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने लोकसभा और राज्यसभा से पास हुए वक्फ संशोधन बिल का समर्थन किया है। उन्होंने कहा- वक्फ की संपत्तियां अल्लाह की मानी जाती हैं। इसका इस्तेमाल गरीबों, जरूरतमंदों और जनहित के लिए होना चाहिए। गैर मुस्लिमों का भी वक्फ की संपत्तियों में बराबर का हक है। राज्यपाल ने कहा कि, भारत लोकतांत्रिक देश है। प्रोटेस्ट करने का अधिकार है। हर किसी को अपनी बात रखने का अधिकार है। जब मैं यूपी में मंत्री था तब वक्फ विभाग मेरे पास ही था। हर समय मुझे ऐसे लोगों से मिलना पड़ता था, जिनके संपत्ति के मामले चल रहे थे।
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गवर्नर ने कहा कि इसमें बहुत सुधार की जरूरत थी। यह वक्फ संशोधन विधेयक इसी दिशा में एक कदम है। गर्वनर पटना में पूर्व उप प्रधानमंत्री जगजीवन राम की 118वीं जयंती पर राजकीय समारोह में पहुंचे थे।
फकीर और मिस्कीन दोनों के लिए है वक्फ का हक
राज्यपाल ने कुरान की आयत का उल्लेख करते हुए कहा कि ‘इसमें दो प्रकार के जरूरतमंदों- फकीर (मुस्लिम) और मिस्कीन (गैर मुस्लिम) का जिक्र किया गया है। इसका अर्थ है कि वक्फ से लाभान्वित होने का अधिकार हर जरूरतमंद को है। धर्म के आधार पर नहीं। पटना में वक्फ की बहुत प्रोपर्टी है, लेकिन आप मुझे बताइए कोई एक संस्था है जो गरीब के लिए काम कर रही है। सिर्फ आपस में मुकदमे बाजी हो रही है ।
वैधता पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि वक्फ की अवधारणा को मुस्लिम देशों में भी कभी गैर-इस्लामी माना गया, लेकिन 1913 में मोहम्मद अली जिन्ना द्वारा पेश एक्ट ने इसे वैधता दी। अब आप बताइए, इसकी दिशा क्या होनी चाहिए।’
पहले भी वक्फ पर उठा चुके हैं सवाल
इससे पहले 3 अप्रैल को बिहार के राज्यपाल ने यूपी दौरान के कहा था कि, मैं कुछ समय तक यूपी में वक्फ मंत्रालय में रहा था। मैंने केस के अलावा कुछ नहीं देखा। 1980 में मुस्लिम महिला सुरक्षा अधिनियम पारित हुआ।
इसमें कहा गया था कि ‘अगर तलाकशुदा महिला की देखभाल करने वाले कोई नहीं है तो उसे वक्फ बोर्ड की तरफ से भत्ता दिया जाएगा। दो साल बाद मैंने संसद में पूछा कि वक्फ बोर्ड ने क्या प्रावधान किया है और तलाकशुदा महिला को भत्ते के रूप में कितने राशि दी जाती है।’